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यज्ञ की महिमा : मकर संक्रांति के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में चतुर्वेद परायण यज्ञ का आयोजन   योग व प्राणायाम जो भारत के ऋषियों की देन है : श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत                     मकर संक्रांति के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में चतुर्वेद परायण यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में मा. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने सपरिवार भाग लिया तथा आहूतियाँ दीं। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कामना की कि ऐसे पावन पर्व हमारे जीवन…

यज्ञ की महिमा : मकर संक्रांति के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में चतुर्वेद परायण यज्ञ का आयोजन

 

योग व प्राणायाम जो भारत के ऋषियों की देन है : श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत

 

                  मकर संक्रांति के अवसर पर पतंजलि योगपीठ में चतुर्वेद परायण यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में मा. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी ने सपरिवार भाग लिया तथा आहूतियाँ दीं। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कामना की कि ऐसे पावन पर्व हमारे जीवन में पूर्णता लाएँ। उन्होंने कहा कि हम ऋषियों की संतानें हैं, स्वभाव से ही हमारे जीवन में दिव्यता व देवत्व है। पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि वेद की ऋचाओं व मंत्रोच्चारण के साथ कुंभ का पहला आयोजन पतंजलि योगपीठ से हुआ है। हमारे ट्रस्टी पूज्य पद्मसेन आर्य जी ने चतुर्वेद परायण यज्ञ कराने की इच्छा प्रकट की थी जिसका अनुपालन करते हुए इस अनुष्ठान का आयोजन किया गया है।

                कार्यक्रम में मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि संक्रांति का दिन है और भारत कोरोना वैक्सीन के रूप में एक बड़ी क्रांति पूरे विश्व में ला रहा है। हम आत्मनिर्भर भारत तथा वोकल फोर लोकल की बात करते हैं। ये वही भारत है जिसके लिए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने कहा था कि वेद भारत के लिए और भारत भारतीयों के लिए। उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने वाले भारत का आह्वान किया था कि वेदों की ओर लौटो, पतंजलि सदैव इसी संकल्पना को चरितार्थ करने के लिए प्रयासरत है। पतंजलि द्वारा संचालित सभी कार्यों का शुभारंभ वेदवाणी व मंत्रोच्चारण के साथ ही होता है। आज भारत विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर खड़ा हो रहा है। देश की कम्पनियाँ कोविड की सबसे सस्ती वैक्सीन बना रही हैं। विश्व के 12 देशों ने लिखित तौर पर भारत से वैक्सीन की माँग की है। मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि वैक्सीन तो अब काम करेगी लेकिन अब तक जिस महाऔषधी ने जीवन की रक्षा की, वह है योग व प्राणायाम जो भारत के ऋषियों की देन है। भविष्य में डब्लू.एच.ओ. को इसका मूल्यांकन करना होगा।

              इस अवसर पर निकुंज वन, पाणिघाट, मथुरा के पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि पतंजलि आकर ऐसा प्रतीत होता है कि आर्य समाज पुनः जीवित हो उठा। अब से पहले ऐसा लगता था कि आर्य समाज के मात्र भवन व हवन ही शेष बचे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी दृष्टि में पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज सच्चे जगद्गुरु तथा पूज्य आचार्य जी महाराज हकीम लुकमान हैं। उन्होंने कहा कि आचार्य जी को वनस्पतियों का इतना वृहद् ज्ञान है कि सैकड़ों प्रयोगशालाएँ उनके समक्ष बौनी साबित होती हैं। उन्होंने कहा कि वेद के तीनों मंत्र आज पतंजलि से सार्थक हो रहे हैं। समय करवट ले रहा है, ओम् की पताका पूरे विश्व में फहराएगी।

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