स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

पतंजलि विश्वविद्यालय का वार्शिकोत्सव कार्यक्रम-अभ्युदय 2022

विकल्परिहत संकल्प और अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ से ही उच्चतम लक्ष्य की प्राप्ति: स्वामी जी

  • सतत् प्रयत्न से ही उननति का मार्ग प्रशस्त होता है: पूज्य आचार्य श्री
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के वार्षिकोत्सव अभ्युदय 2022 का आयोजन पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम का शुभारंभ पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव जी एवं यशस्वी कुलपति आयुर्वेद शिरोमणि श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी ने दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विकल्परिहत संकल्प और अखण्ड़-प्रचण्ड़  पुरुषार्थ के द्वारा आप अपने उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। आचार्य श्री ने विद्यार्थियों को उन्नति के पथ पर सदैव अग्रसर रहने का शुभाशीष दिया। उन्होंने कहा कि उन्नति के लिए प्रयास न करना ही अवनति है। अतः आपके द्वारा किया गया उपक्रम आपको उन्नति ही दिलाएगा। प्रति-कुलपति श्री महावीर अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थी अनुशासन व समय की महत्ता का पालन कर जीवन के उच्च लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। कुलानुशासिका साध्वी देवप्रिया जी ने छात्रध्छात्राओं के कर्म कौशल एवं समता के भाव द्वारा सफल जीवन का आर्शीवाद दिया। स्वामी परमार्थदेव जी ने योग एवं योग्यता के बल पर सार्थक जीवन की महत्ता बतलाई। वर्तमान युग योग, आयुर्वेद व अध्यात्म का है इसलिए अपने आप को समाज का और अपनी परम्पराओं का नेतृत्वकत्र्ता बनाए। अभ्युदय सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें सामूहिक गायन, एकल गायन, सामूहिक नृत्य व पोस्टर प्रदर्शन प्रमुख थे। इनमें राष्ट्रवाद, भारतीय संस्कृति, राष्ट्र की अखण्डता, सेना के शोर्य जैसे भावपूर्ण प्रस्तुतियां प्रस्तुत की। पतंजलि वार्षिकोत्सव अभ्युदय-2022 की ट्राॅफी बी.पी.ई.एस., बी.एस.सी. विज्ञान एवं पी.जी. डिप्लोमा के छात्र-छात्राओं को प्राप्त हुई। इस कार्यक्रम में साध्वी देवप्रिया जी, सुश्री अंशु जी, सुश्री पारुल जी, स्वामी परमार्थ देव जी, डाॅ. प्रवीण पुनिया जी, प्रो. के.एन.एस. यादव जी, श्री वी.सी. पाण्डेय जी, प्रो. वी.के. कटियार जी, डाॅ. निर्विकार जी विभिन्न विभागों के समन्व्यक एवं समस्त प्राध्यापकगणो की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद प्रस्ताव डाॅ. नरेन्द्र सिंह ने किया।

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