वार्षिकोत्सव: अच्छी शिक्षा से होगा मार्ग प्रशस्त

वार्षिकोत्सव: अच्छी शिक्षा से होगा मार्ग प्रशस्त

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बोले, आचार्यकुलम् है पारम्परिक आधुनिक शिक्षा का मिलन केंद्र बहादराबाद (हरिद्वार)। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने कहा कि शिक्षा का उद््देश्य मात्र परीक्षा उत्तीर्ण कर डिग्री हासिल करना नहीं होना चाहिए। अच्छी शिक्षा से ही देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। आचार्यकुलम् इसी दिशा में आगे बढ़ रहे है। श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने पतंजलि योगपीठ के श्रद्धालय हाॅल में आचार्यकुलम् के वार्षिकोत्सव को संबोधित करते हुए। कहा कि भारत की ज्ञान परम्परा और आधुनिक शिक्षा का अनुपम मिलन आचार्यकुलम्…

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बोले, आचार्यकुलम् है पारम्परिक आधुनिक शिक्षा का मिलन केंद्र

बहादराबाद (हरिद्वार)। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने कहा कि शिक्षा का उद््देश्य मात्र परीक्षा उत्तीर्ण कर डिग्री हासिल करना नहीं होना चाहिए। अच्छी शिक्षा से ही देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। आचार्यकुलम् इसी दिशा में आगे बढ़ रहे है।

श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने पतंजलि योगपीठ के श्रद्धालय हाॅल में आचार्यकुलम् के वार्षिकोत्सव को संबोधित करते हुए। कहा कि भारत की ज्ञान परम्परा और आधुनिक शिक्षा का अनुपम मिलन आचार्यकुलम् में देखने को मिलता हैं इसके पीछे योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज और पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज की वैज्ञानिक दृष्टि है। क्योंकि, किसी भी प्रतिष्ठान की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी उसका प्रबंध कौशल ही होता है। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना के अपने संकल्प को दोहराया। कहा कि मैकाले ने हमारी हजारांे साल पुरानी वैदिक शिक्षा पद्धति को बदल दिया। आज जरूरत इस बात की है कि हम मैकाले की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति के स्थान पर ऋषियों की प्राचीन वैदिक शिक्षा पद्धति को पुनस्थापित करें। कहा कि अंधविश्वास, पाखण्ड व जातिमुक्त भारत का सपना सबसे पहले महर्षि दयानन्द ने देखा था। उन्होंने ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। उनके ही आदर्शों पर चलकर और वेदों को आधार बनाकर हमें आधुनिकता के शिखर आरोहण जड़ने हैं। पूज्य आचार्य श्री ने कहा स्वामी दयानन्द सरस्वती ऐसे योद्धा संन्यासी थे, जिन्होंने सच्चे शिव को पाने और मृत्यु का रहस्य जानने के लिए घर त्याग दिया। करोड़ों असहाय लोगों को जीवन का गूढ़ रहस्य बताने के लिए उन्होंने गुरुकुल परम्परा की नींव रखी। जिसे बचाने का दायित्व हम सबका है। कहा कि विश्व में बढ़ती हिंसा, अनाचार व व्यभिचार से डटकर मुकाबला करने के लिए भारतीय संस्कृति, शिक्षा और मूल्यों को आत्मसात करना होगा। इसमें आचार्यकुलम् महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे पहले आचार्यकुलम् के निदेशक श्री एल.आर. सैनी जी ने पिछले वर्ष की उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। साथ ही सीबीएसई की हाईस्कूल परीक्षा में बेहतर रैंक पाने वाले आचार्यकुलम् के छात्र-छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया। आचार्यकुलम् की प्राचार्य वंदना मेहता, जाह्नवी के निर्देशन में छात्र-छात्राओं ने महर्षि दयानन्द के जीवन पर आधारित नाटक ‘वेदों की ओर लौट चलो, की प्रस्तुति दी’। -साभारः जागरण’

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद
स शनैर्हितमादद्यादहितं च शनैस्त्यजेत्।     हितकर पदार्थों को सात्म्य करने के लिए धीरे-धीरे उनका सेवन आरम्भ करना चाहिए तथा अहितकर पदार्थों...
अयोध्या में भगवान श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
ऐतिहासिक अवसर : भारतीय संन्यासी की मोम की प्रतिकृति बनेगी मैडम तुसाद की शोभा
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट आमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान
आयुर्वेद अमृत
लिवर रोगों में गिलोय की उपयोगिता को अब यू.के. ने भी माना