हमारे जीवन में और देश में भौतिक, आध्यात्मिक और दैवीय तीनों प्रकार की सम्पत्ति होनी चाहिए: श्रद्धेय स्वामी जी महाराज
पतंजलि योगपीठ में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दीपावली हरिद्वार। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज के सान्निध्य में ‘तमसो मा जयोतिर्गमय’ की मंगल कामनाओं के साथ पतंजलि योगपीठ द्वितीय चरण स्थित वैदिक गुरुकुलम् परिसर में दीपावली महापर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत ज्ञान यज्ञ के साथ हुई, जिसमें परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने पतंजलि के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के श्रेष्ठ प्रतिभाशाली विद्यार्थियों द्वारा स्मरण किए गये शास्त्रों को सुना तथा उनका उत्साहवर्धन किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि दीपावली प्रकाश का पर्व है और प्रकाश…
पतंजलि योगपीठ में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दीपावली
हरिद्वार। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज के सान्निध्य में ‘तमसो मा जयोतिर्गमय’ की मंगल कामनाओं के साथ पतंजलि योगपीठ द्वितीय चरण स्थित वैदिक गुरुकुलम् परिसर में दीपावली महापर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत ज्ञान यज्ञ के साथ हुई, जिसमें परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने पतंजलि के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के श्रेष्ठ प्रतिभाशाली विद्यार्थियों द्वारा स्मरण किए गये शास्त्रों को सुना तथा उनका उत्साहवर्धन किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि दीपावली प्रकाश का पर्व है और प्रकाश केवल बाहरी ही नहीं होता बल्कि हमारे भीतर अज्ञान के अंधकार को हटाने वाला ज्ञान रूपी प्रकाश भी होता है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में और देश में भौतिक, आध्यात्मिक और दैवीय तीनों प्रकार की सम्पत्ति होनी चाहिए। दीपोत्सव भारत माता को परम वैभवशाली बनाने के लिए ज्ञान के प्रकाश में शारदीय नवसस्येष्टि हवन-यज्ञ भी किया गया। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हमारे विद्यार्थी सभी पर्वों को वैदिक रीति से मनाते है और किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं करते है। उन्होंने कहा कि सभी वैदिक रीति से यज्ञपूर्वक दीपोत्सव मनाएँ, जिससे सभी के जीवन में धन, ऐश्वर्य, विद्या, विभूति और सब प्रकार की खुशियाँ आए।
इस अवसर पर श्रद्धेय गुरुदेव आचार्य प्रद्युम्न जी महाराज तथा श्रद्धेय बालकृष्ण जी महाराज ने सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई दी तथा सभी के जीवन में समृद्धि की मंगलकामना की। इस अवसर पर पतंजलि के सभी परिसरों को विभिन्न प्रकार की रंगोलियों से सजाया गया व हजारों मिट्टी के दीये जलाये गये।
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