भ्रमण: पतंजलि के आयुर्वेदिक व हर्बल उत्पादों की ईकाई व आयुर्वेद क्रान्ति के बारे में मा.मोहन भागवत जी के विचार

भ्रमण: पतंजलि के आयुर्वेदिक व हर्बल उत्पादों की ईकाई व आयुर्वेद क्रान्ति के बारे में मा.मोहन भागवत जी के विचार

अपने पास जो ज्ञान है वह बहुत अहम है आज की दुनिया की स्पर्धा में विजय के बाद उसको मान्यता मिलती है,यह नियम है दुनिया का, सत्य तो हमारा सबल है, लेकिन सत्य को शक्तिमान भी होना चाहिए, शक्ति सिद्ध करनी पड़ती है तो मैंने आज देखा कि देश काल परिस्थिति के परिवर्तन ध्यान में रखते हुए, जो रूप देना चाहिए वह रूप उसके प्राण को, उसकी आत्मा को कायम रख कर दिया। पहली बात, उद्योग भी आपका चलता है तो वहां काम करने वाले मजदूर किसी कारखाने के जैसे…

अपने पास जो ज्ञान है वह बहुत अहम है आज की दुनिया की स्पर्धा में विजय के बाद उसको मान्यता मिलती है,यह नियम है दुनिया का, सत्य तो हमारा सबल है, लेकिन सत्य को शक्तिमान भी होना चाहिए, शक्ति सिद्ध करनी पड़ती है तो मैंने आज देखा कि देश काल परिस्थिति के परिवर्तन ध्यान में रखते हुए, जो रूप देना चाहिए वह रूप उसके प्राण को, उसकी आत्मा को कायम रख कर दिया। पहली बात, उद्योग भी आपका चलता है तो वहां काम करने वाले मजदूर किसी कारखाने के जैसे मजदूर नहीं थे, वह अपनी अपनत्व भावना से आते हैं नमस्कार करते हैं, वो सब मैंने देखा, यंत्र जो नहीं थे अपने पास, तो कुछ तो उपलब्ध होंगे वह आपने लगाए, कुछ यंत्र तो आपको सोचकर के कैसा चाहिए तैयार करने पड़े होंगे, हाँ आयुर्वेद को लेकर, के एक आयुर्वेदिक टेक्नोलॉजी का भी अपने विकास किया, यह एक बहुत अच्छी बात है, दूसरी बात ऐसी है कि यह सारा करते समय क्वालिटी से कोई ब्वउचतवउपेम नहीं रखा, ‘पतंजलि उत्पादों का जो पराक्रम है वह तो अब सिद्ध हो चुका है उसका मूल इसमें है कि दुनिया हमारे प्रयोगों को ज्यादा बारीकी से देखगी, अन्य लोगों से, और मीन-मेख निकलने का भरकस प्रयास करेगी, ऐसा मानकर चलना पड़ेगा, संभल के आप चलते ही हैं, उसके स्तर में कोई गिरावट नहीं आए, और सबसे अच्छी बात है यह सारा जो आपने दिया है उसमे बड़े सारे लोगों को रोजगार मिला हुआ है और हमारी स्वदेशी भावना को, एक स्थान उसमें से मिला है ’अब इसको जितना लोग और देखेंगे, अपना भी करेंगे, सीखेंगे, उतना अच्छा होगा, लेकिन भारतीय उद्योगिता, याने भारत की उद्योग की कल्पना जो सनातन काल से, हमारे यहां उद्योग का शास्त्र है, उसको एक आधुनिक जामा पहनाने में, जिनको कहते हैं कि मॉडल,आज बहुत थोड़े हैं, इतना परिश्रम किया आप लोगों ने, जिसको कहते हैं की जव ेजंतज तिवउ ेबतंजबी यानि शून्य से प्रारंभ किया माने सब कुछ अपने हाथ से किया, यह उदाहरण यह एक ऐसा है की लोग स्पर्धा के लिए करते हैं, यह सारा जब लोग देखेंगे, इसका बहुत अनुकूल परिणाम होगा, सारे देश पर ही होगा। यह बहुत ही अद्भुत बनाया है, यह देखकर बड़ा आनंद हुआ, क्योंकि सुन तो रहे थे, दो चीजें होती है एक होता है नॉलज, दूसरा होता है नॉलेज के आधार पर एप्लिकेशन, एप्लिकेशन का एक मेथड होता है, मेथड का एक सिस्टम होता है, सिस्टम का एक प्रोसेस होता है, इन सबको साधना पड़ता है तब कार्य ठीक होता है ,आपने इन सबको साधकर अत्यंत पुरुषार्थ किया है।

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