पतंजलि गुरुकुलम् उद्घाटन समारोह में विशिष्ठ अभिव्यक्तियाँ

पतंजलि गुरुकुलम् उद्घाटन समारोह में विशिष्ठ अभिव्यक्तियाँ

श्री मोहन भागवत जी, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: * गुरुकुल पद्धति के शिक्षा केन्द्र का उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए। पतंजलि गुरुकुलम्् वैदिक और ऋषिज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाएगा और पतंजलि गुरुकुलम् इसी दिशा में कार्य कर रहा है। गंगा का उदगम देखेंगे तो छोटा होता है, गंगा जैसी गंगा सागर के पास विशाल है वैसी तो नहीं दिखती, नर्मदा मैया का उदगम अमर कंटक में तो इतना छोटा था अब तो कुंड बना दिया हैं, पहले तो इतना छोटा था कि एक लांग में पार कर सकते थे, तो…

श्री मोहन भागवत जी, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ:

* गुरुकुल पद्धति के शिक्षा केन्द्र का उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए। पतंजलि गुरुकुलम्् वैदिक और ऋषिज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाएगा और पतंजलि गुरुकुलम् इसी दिशा में कार्य कर रहा है। गंगा का उदगम देखेंगे तो छोटा होता है, गंगा जैसी गंगा सागर के पास विशाल है वैसी तो नहीं दिखती, नर्मदा मैया का उदगम अमर कंटक में तो इतना छोटा था अब तो कुंड बना दिया हैं, पहले तो इतना छोटा था कि एक लांग में पार कर सकते थे, तो मुझे ऐसा लगता है आज मैं एक ऐसे अजस्र परिवर्तन धारा के उदगम पर खड़ा हूँ जो आगे चलकर अजस्र सबको पावन करने वाली परिवर्तन धारा बनेगी और उस गंगोत्री के दर्शन आज आपने मुझे यहाँ बुलाकर कराये। -श्री मोहन भागतव जी (सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)।

योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज, पतंजलि योगपीठ:

* पतंजलि गुरुकुलम् की स्थापना का उद्देश्य भारत को मैकाले की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति के षड्यंत्र से मुक्त कर वैदिक एवं ऋषि ज्ञान परम्परा की प्रतिष्ठा करना है।

परम पूज्य स्वामी अवधेशानन्द जी महाराज, जूना अखाडा:

*कुछ वर्षों में आयुर्वेद, योग, शिक्षा, जैविक खेती और स्वदेशी की दिशा में जो प्रयोग पतंजलि के द्वारा हुए हैं, वे चमत्कृत कर देने वाले हैं और ऐसा लगता है कि पतंजलि में जो प्रयोग हो रहा है, वो भगवदीय प्रयोग है।

परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज:

* यह केवल एक संस्था का उद्घाटन नहीं अपितु इस संस्था के माध्यम से भारतीय संस्कृति और राष्ट्र के जागरण का एक अद्भुत प्रारम्भ है, एक शुरुआत है।

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद
स शनैर्हितमादद्यादहितं च शनैस्त्यजेत्।     हितकर पदार्थों को सात्म्य करने के लिए धीरे-धीरे उनका सेवन आरम्भ करना चाहिए तथा अहितकर पदार्थों...
अयोध्या में भगवान श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
ऐतिहासिक अवसर : भारतीय संन्यासी की मोम की प्रतिकृति बनेगी मैडम तुसाद की शोभा
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट आमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान
आयुर्वेद अमृत
लिवर रोगों में गिलोय की उपयोगिता को अब यू.के. ने भी माना