स्वास्थ्य के संकल्प का दिन है धनवंतरि जयंती

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सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति ‘आयुर्वेद’ विश्व को भारत की अनमोल देन हरिद्वार। धनवंतरि जयंती पर पतंजलि योगपीठ में यज्ञ का आयोजन किया गया। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति के रूप में आयुर्वेद विश्व को भारत की अनमोल देन है। पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेद को फिर उसकी प्रतिष्ठा दिलाई है। पतंजलि की ओर से आयुर्वेद की प्राचीन पांडुलिपि का संरक्षण किया गया है। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि हमें आयुर्वेद सम्मत स्वस्थ, सुगम और सरल जीवन शैली को अपनाना होगा। आयुर्वेद…

सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति ‘आयुर्वेद’ विश्व को भारत की अनमोल देन
हरिद्वार। धनवंतरि जयंती पर पतंजलि योगपीठ में यज्ञ का आयोजन किया गया। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि सर्वाधिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति के रूप में आयुर्वेद विश्व को भारत की अनमोल देन है। पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेद को फिर उसकी प्रतिष्ठा दिलाई है। पतंजलि की ओर से आयुर्वेद की प्राचीन पांडुलिपि का संरक्षण किया गया है।
पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि हमें आयुर्वेद सम्मत स्वस्थ, सुगम और सरल जीवन शैली को अपनाना होगा। आयुर्वेद को जानने के साथ-साथ जीवन में उतारने का संकल्प लेना है। हम मानवता के लिए कुछ कर सकें, इसके लिए अपना सामथ्र्य बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि आज के दिन आप श्रेष्ठ विचारों को आत्मसात करें। करीब 40 हजार से ज्यादा योग और आयुर्वेद की पांडुलिपियों का डिजिटल संरक्षण किया है। पलायन रोकने के लिए पहाड़ों पर जड़ी-बूटी आधारित प्रभावशाली माॅडल लागू किया। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल जी ने कहा आयुर्वेद जीवन पद्धति है। पतंजलि विश्वविद्यालय में वेदों की सुगंध, उपनिषदों का अमृत, गीता का आशीर्वाद है। आचार्य विजयपाल प्रचेता जी ने आयुर्वेद की विविध शाखाओं एवं चिकित्सा विधाओं का परिचय दिया। इस दौरान पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ.डी.एन.शर्मा, पतंजलि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो.विनोद बंसल, डाॅ.अनुराग वाष्र्णेय, स्वामी परमार्थ देव, डाॅ. दयाशंकर समेत पतंजलि विवि और पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं। -साभारः दैनिक जागरण

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