योग के साथ भारतीय वैदिक परम्परा का होगा विजय साम्राज्य

योग के साथ भारतीय वैदिक परम्परा का होगा विजय साम्राज्य

हरिद्वार। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि 20-25 साल में योग के साथ भारतीय वैदिक परम्परा का विजय साम्राज्य पूरे विश्व में स्थापित होगा। भारतीय ज्ञान परम्परा को पूरा विश्व स्वीकार करेगा। ज्ञानकुम्भ के आयोजन की सार्थकता का प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि धर्म, आध्यात्म पर आधारित भारतीय शिक्षा बोर्ड जल्द बनने की उम्मीद है, इसका प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मैकाले शिक्षा पद्धति का विकल्प होगा। उन्होंने दूसरे दिन भी दो से अधिक संतान पैदा करने वालों के वोटिंग राइट खत्म करने की…

हरिद्वार। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि 20-25 साल में योग के साथ भारतीय वैदिक परम्परा का विजय साम्राज्य पूरे विश्व में स्थापित होगा। भारतीय ज्ञान परम्परा को पूरा विश्व स्वीकार करेगा। ज्ञानकुम्भ के आयोजन की सार्थकता का प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि धर्म, आध्यात्म पर आधारित भारतीय शिक्षा बोर्ड जल्द बनने की उम्मीद है, इसका प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मैकाले शिक्षा पद्धति का विकल्प होगा। उन्होंने दूसरे दिन भी दो से अधिक संतान पैदा करने वालों के वोटिंग राइट खत्म करने की बात दोहराई। उन्होंने कहा जो हमारी तरह विवाह न करें उनका विशेष सम्मान होना चाहिए। पतंजलि योगपीठ के द्वितीय चरण में चल रहे ज्ञानकुम्भ के दूसरे दिन के पहले तकनीकी सत्र में ‘उच्च शिक्षा और भारतीय ज्ञान परम्परा’ विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में लिंग, वर्ण, जाति, धर्म का कोई विभेद नहीं है। भारतीय ज्ञान परम्परा वेदों पर आधारित है। हमारे अंदर ज्ञान की असीम संभावनाएं हैं, इसे तलाशने में गुरु और विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में अभ्यास पर ज्यादा जोर देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि पतंजलि दिल्ली में अपरा व परा विद्या पर आधारित एक हजार एकड़ भूमि पर विश्व का सर्वश्रेष्ठ विवि बनाएगा। उन्होंने कहा कि हम भारतीयता और स्वदेशी के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि हम विदेशी कम्पनियों को मार नहीं रहे, बल्कि मोक्ष दे रहे हैं। उन्होंने प्रतिस्पर्धा की जगह आत्मास्पर्धा का भाव रखने की बात कही। उन्होंने विश्वविद्यालयों में योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी आदि को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
संस्कृत उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक डाॅ. अतुल भाई कोठारी ने कहा कि शिक्षा का मूल आधार एकाग्रता है। जीवन के किसी भी क्षेत्र मंे सफल से सफल बनने के लिए एकाग्रता जरूरी है। शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की प्रक्रिया से पूर्व ओमकार के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास की शिक्षा से विद्यार्थी न केवल आत्मनिर्भर होगा बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाएगा। माँ, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है। दूसरे दिन के पहले सत्र को विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आरके पांडे, महर्षि महेश योगी वैदिक विवि मध्य प्रदेश के डाॅ. निलिंब त्रिपाठी, राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली के प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। उत्तराखंड के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ.धनसिंह रावत जी ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भंेट किया। इस दौरान सह अध्यक्ष उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रोफेसर पीयूष कांत दीक्षित, यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर महावीर प्रसाद अग्रवाल जी मौजूद रहे।
100 गरीब बच्चों को पतंजलि देगा निःशुल्क प्रशिक्षण
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि 15 दिन में योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य बालकृष्ण और प्रदेश सरकार में एमओयू होगा। जिसके आधार पर शोध के लिए 100 गरीब शोधार्थियों को पतंजलि योगपीठ निःशुल्क प्रशिक्षण देगा।
– भारतीय शिक्षा बोर्ड जल्द बनेगा, दिया जा रहा है प्रस्ताव, स्वीकारेगा पूरा विश्व।
 सात दिन का देगा विशेषा प्रशिक्षण:
योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा पतंजलि में एक हजार से अधिक लोग अनुसंधान कर रहे हैं। एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है। दूसरे विश्वविद्यालय भी यदि अपने यहां के छात्रों को भेजंेगे तो उन्हें सात-सात दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। कहा पतंजलि अपने बजट का पांच फीसदी शोध कार्यों पर खर्च करता है। रिसर्च और इनोवेशन देश को आगे ले जाने की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि जन्म दिव्य होने पर ही कार्य दिव्य होंगे। जन्म दिव्य कैसे हों इसके लिए नव दंपत्तियों के लिए जून में प्रबोधन शिविर पतंजलि में लगाएंगे। -साभारः जागरण’

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