पतंजलि का प्राथमिक विद्यालय अब राँची में भी

पतंजलि का प्राथमिक विद्यालय अब राँची में भी

वैदिक गुरुकुलम्: प्राचीन वैदिक गुरुकुल और आधुनिक कम्प्यूटर युग के अनुरूप विद्यार्थियों को शिक्षा दी जायेगी… राँची। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज एवं पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिशा निर्देशन पर रांची में डे बोर्डिंग स्कूल आचार्यकुलम् की शुरूआत 2019 से होने जा रही है। टाटा रोड स्थित लाॅ यूनिवर्सिटी के पास खुलनेवाले स्कूल में फिलहाल एल.के.जी. से चैथी तक की कक्षाएं चलेंगी। आचार्यकुलम् के निर्देशक श्री एल.आर.सैनी जी ने संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी कि आचार्यकुलम् में अलग पद्धति से शिक्षा दी जायेगी। यहां पर प्राचीन वैदिक गुरुकुल…

वैदिक गुरुकुलम्: प्राचीन वैदिक गुरुकुल और आधुनिक कम्प्यूटर युग के अनुरूप विद्यार्थियों को शिक्षा दी जायेगी…

राँची। योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज एवं पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिशा निर्देशन पर रांची में डे बोर्डिंग स्कूल आचार्यकुलम् की शुरूआत 2019 से होने जा रही है। टाटा रोड स्थित लाॅ यूनिवर्सिटी के पास खुलनेवाले स्कूल में फिलहाल एल.के.जी. से चैथी तक की कक्षाएं चलेंगी। आचार्यकुलम् के निर्देशक श्री एल.आर.सैनी जी ने संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी कि आचार्यकुलम् में अलग पद्धति से शिक्षा दी जायेगी। यहां पर प्राचीन वैदिक गुरुकुल और आधुनिक कंप्यूटर युग के अनुरूप विद्यार्थियों को शिक्षा दी जायेगी, हरिद्वार में पहला आचार्यकुलम् चल रहा है और रांची दूसरा शहर होगा, जहाँ यह स्कूल खुलगा। जल्दी ही देश के तकरीबन सभी जिलों में यह स्कूल संचालित होगा। रांची में खुलने वाले स्कूल में एक ही परिसर में बालक-बालिकाओं की अलग-अलग कक्षाएं संचालित होंगी। यहां आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ यज्ञ, योग, खेल, कम्प्यूटर आदि की शिक्षा दी जायेगी। विद्यालय में ही प्रतिदिन शिक्षकों की देखरेख में होमवर्क भी पूरा कराया जायेगा। श्री सैनी जी ने बताया कि भारतीय युवा अपने कठिन श्रम से उच्च चरित्र और पारदर्शी जीवनशैली को अपना कर पुनः भारत को संसार के पटल पर आगे लायें। इसी दिशा में आचार्यकुलम् एक अभिनव प्रयोग है और इसका पूरा श्रेय योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज और पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज को जाता है। आधुनिक शिक्षा, प्राचीन संस्कार एवं कम खर्च में वैदिक ज्ञान देने की पहल इस स्कूल के द्वारा की जा रही है।

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद
स शनैर्हितमादद्यादहितं च शनैस्त्यजेत्।     हितकर पदार्थों को सात्म्य करने के लिए धीरे-धीरे उनका सेवन आरम्भ करना चाहिए तथा अहितकर पदार्थों...
अयोध्या में भगवान श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
ऐतिहासिक अवसर : भारतीय संन्यासी की मोम की प्रतिकृति बनेगी मैडम तुसाद की शोभा
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट आमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान
आयुर्वेद अमृत
लिवर रोगों में गिलोय की उपयोगिता को अब यू.के. ने भी माना