धर्म और संस्कृति संगम: नियमित योगाभ्यास से ‘योगी’ बनो

धर्म और संस्कृति संगम: नियमित योगाभ्यास से ‘योगी’ बनो

संस्कृति संगम में संतगणों की उपस्थित में श्रद्धेय स्वामी जी महाराज का आर्शीवचन कग्गोडु (कर्नाटक)। ‘एक चाय बेचने वाला बालक नरेंद्र मोदी जी, जिम्मेदार प्रधानमंत्री बन गये। योग करने वाले योगी आदित्यनाथ जी उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री का भार संभाल रहे हैं। मैं भी योग सीखकर अब गुरुपद पर आसीन हूँ। अतः आप लोग भी योग सीखिए और भविष्य में एम.एल,ए. या सांसद बनकर अच्छे-अच्छे काम करते हुए सुयोग्य शासक बनिये। योगी बनिये ।‘‘ये सब वक्तव्य थे, योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज के जो कि उन्होंने भारतीय संस्कृति उत्सव-5…

संस्कृति संगम में संतगणों की उपस्थित में श्रद्धेय स्वामी जी महाराज का आर्शीवचन

कग्गोडु (कर्नाटक)। ‘एक चाय बेचने वाला बालक नरेंद्र मोदी जी, जिम्मेदार प्रधानमंत्री बन गये। योग करने वाले योगी आदित्यनाथ जी उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री का भार संभाल रहे हैं। मैं भी योग सीखकर अब गुरुपद पर आसीन हूँ। अतः आप लोग भी योग सीखिए और भविष्य में एम.एल,ए. या सांसद बनकर अच्छे-अच्छे काम करते हुए सुयोग्य शासक बनिये। योगी बनिये ।‘‘ये सब वक्तव्य थे, योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज के जो कि उन्होंने भारतीय संस्कृति उत्सव-5 के तहत आयोजित एक ‘धर्म और संस्कृति संगम’ कार्यक्रम के दौरान वहां उमडे जनसलाब को उद्बोधन के रूप में दिये। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के प्रोत्साहवर्धन से योगसाधकगण भी बहुत हर्षित हो उठे ।

अपने उद्बोधन के दौरान योगसाधकों को हंसाते हुए श्रद्धेय स्वामी जी महाराज द्वारा उन्हें कई यौगिक क्रियाओं से अवगत भी करवाये। साधकगणों को अपनी संभाषण में शामिल कराते हुए उनसे ‘भारत माता की जय’ व ‘कर्नाटक माता की जय’ ये उद्घोष से सारा पाण्डाल गुंज उठा। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज अपनी बातों को जारी रखते हुए कहे- ‘शरीर से सुदृढ़, हृदय से श्रद्धावान् व आचरण से चरित्रवान् यदि हम बने तो हमारा देश महान् बनेगा’। ‘योग हम सब लोगों का दैनन्दिन जीवन का एक अभिन्न अंग ही बन जाना चाहिये। युवाओं को जल्दी सोना और प्रातः अतिशीघ्र उठना चाहिये। रामायण में कहा है कि देर रात तक जागते रहना पाप कर्म होता है। हर एक को अतः प्रातःकाल जल्दी उठकर योगी बनना चाहिये और दिनभर कर्मयोगी बनना है। पिछले ४० साल से मैंने एक दिन भी आराम नहीं की। अगर मैं हिमालय जाऊं तो भी मुझे वहाँ सर्दी नहीं सताती। योग और प्राणायाम का अभ्यास ही मुझे इस कदर समर्थ बनाया है।

ककड़ी या मिसैल:

कग्गोडु (कर्नाटक)। जैव कृषि पद्धति पर जोर देते हुए और कृषि में रसायनों का प्रयोग से होने वाले हानि व दुष्परिणामों को समझाते हुए श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि ‘यूरिया को प्रयोग में लाते-लाते हमारे सारे खेत बंजर बन गये है। भूमाता अपनी सार सत्व खो बैठी है। यूरिया का इस्तेमाल करने से साग-सब्जी तो लम्बे-मोटे तो होते हैं जैसे कि यूरिया से बने ककडी-खीरा तो ऐसे लगते हैं कि ‘क्या ये ककडी हैं या मिसैल्! कुछ पता ही नहीं चलता।’

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