पूज्य आचार्य श्री भीष्म पुरस्कार से सम्मानित
वैदिक गुरुकुल: स्वर्गीय डाॅ. कुलकर्णी जी द्वारा संकलित मराठी इतिहास तथा आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके योगदान को अन्य भाषाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए: श्रद्धेय आचार्य श्री हरिद्वार। पुणे स्थित संत श्री ज्ञानेश्वर गुरुकुल में इतिहासाचार्य स्वर्गीय डाॅ. श्रीपाद दत्तात्रेय कुलकर्णी की स्मृति में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज को ‘भीष्म पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार स्वरूप उन्हें प्रशस्ति-पत्र, श्रीफल व पाँच लाख रुपये भी प्रदान किये गये। इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री महाराज ने कहा कि भारत के इतिहास को वही…
वैदिक गुरुकुल: स्वर्गीय डाॅ. कुलकर्णी जी द्वारा संकलित मराठी इतिहास तथा आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके योगदान को अन्य भाषाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए: श्रद्धेय आचार्य श्री
हरिद्वार। पुणे स्थित संत श्री ज्ञानेश्वर गुरुकुल में इतिहासाचार्य स्वर्गीय डाॅ. श्रीपाद दत्तात्रेय कुलकर्णी की स्मृति में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज को ‘भीष्म पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार स्वरूप उन्हें प्रशस्ति-पत्र, श्रीफल व पाँच लाख रुपये भी प्रदान किये गये। इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री महाराज ने कहा कि भारत के इतिहास को वही व्यक्ति लिख सकता है, जो भारत के गौरव से परिचित हो, उसे समझता हो और साथ ही अतीत की पीड़ा को भी समझता हो। स्वर्गीय डाॅ. कुलकर्णी जी ऐसे ही संकल्पशील व्यक्तित्व के स्वामी थे। पूज्य आचार्य जी ने कहा कि मराठी भाषा में इतिहास और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके द्वारा दिये गये योगदान को दूसरी भाषाओं में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिससे कि लोग उनके व्यक्तित्व को और इस क्षेत्र में उनके योगदान को समझ सके। उन्होंने स्वर्गीय डाॅ. कुलकर्णी जी को स्मरण करते हुए कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम में पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि दुनिया में अगर हमें कुछ कर गुजरना है तो हमें समस्या नहीं समाधान बनना होगा। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के अथक प्रयासों से आज दुनिया को योग और आयुर्वेद की शक्ति दिखाई दे रही है और दुनिया उसकी ओर लालायित हो रही है। कितना भी जटिल कार्य हो, कितना भी कठिन कार्य हो या असंभव सा दिखने वाला कार्य हो, यदि कार्य सही है, तो परिणाम सुख और आनन्द ही देगा। कार्य करते समय मन में हताशा और निराशा के भाव कभी नहीं आने चाहिए।
पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप लोगों की भावनाओं और प्रेरणाओं से ही हम कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे सदैव अनुभूति होती है कि हम कुछ ऐसा कार्य करें कि भगवान् के पास हम जब भी जाएँ, तो हम उनसे यह कह सकें कि जितनी भी शक्ति आपने दी थी, अपने पुरुषार्थ के बल पर हमने उससे ज्यादा ही कार्य करके दिखाया है। कार्यक्रम में पूज्य स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज के साथ पद्म विभूषण डाॅ. संचेती जी, डाॅ. रविन्द्र कुलकर्णी जी व अन्य हजारों लोगों की पावन उपस्थिति रही।
ऽ पू.गोविंद देव गिरि जी महाराज ने वैदिक परंपरा को आगे ले जाने का कार्य कर रहे है: आचार्य श्री