आयुर्वेद दवाओं के उत्पादन व विपणन को करार

देहरादून। उत्तराखण्ड में उत्पादित होने वाली आयुर्वेदिक दवाओं को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस कड़ी में आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन, शोध और विपणन के मद्देनजर को आयुष मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत जी की मौजूदगी में केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, पतंजलि और आयुर्वेदिक विवि के मध्य करार पर हस्ताक्षर किए गये। आयुष मंत्री डाॅ. रावत जी ने इस कदम को उत्तराखण्ड के आयुर्वेद के लिहाज से क्रांतिकारी बताया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आयुर्वेद विवि के परिसरों का विस्तार…

देहरादून। उत्तराखण्ड में उत्पादित होने वाली आयुर्वेदिक दवाओं को देश-दुनिया में पहचान दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस कड़ी में आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन, शोध और विपणन के मद्देनजर को आयुष मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत जी की मौजूदगी में केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, पतंजलि और आयुर्वेदिक विवि के मध्य करार पर हस्ताक्षर किए गये। आयुष मंत्री डाॅ. रावत जी ने इस कदम को उत्तराखण्ड के आयुर्वेद के लिहाज से क्रांतिकारी बताया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आयुर्वेद विवि के परिसरों का विस्तार किया जा रहा हैं कोटद्वार में विवि के चैथे कैंपस का उद्घाटन किया जाएगा।

विधानसभा भवन में आयोजित कार्यक्रम में करार पर केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो.के.एस.चैहान, पतंजलि रिसर्च विंग के वाइस प्रेसीडेंट डाॅ.अनुराग और आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर मौजूद रहे आयुष मंत्री डाॅ.हरक सिंह रावत ने कहा कि देश-दुनिया में आयुर्वेद का ज्ञान उत्तराखण्ड से फैला मगर एलोपैथी की भांति वैज्ञानिक शोध और खोज के अभाव में हम पिछड़ से गए थे। अब आयुर्वेद को फिर से पहचान दिलाने की सरकार ने ठानी है और यह एमओयू इसी कड़ी का हिस्सा है। डाॅ. हरक सिंह रावत जी ने कहा कि इस करार के बाद अब आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन, शोध और विपणन के कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। परिषद् के सहयोग से जहां शोध कार्य होंगे, वहीं पतंजलि विपणन में सहयोग करेगा। आयुर्वेद विवि एकेडमिक व शोध दोनों कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से उत्तराखण्ड से पलायन को थामने में मदद मिलेगी, वहीं बंजर भूमि का उपयोग जड़-बूटीयाँ उगाने में हो सकेगा।

उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में बड़ी संख्या में वैद्य आयुर्वेद से उपचार कर रहे हैं, उनके अनुभव और पारंपरिक ज्ञान का अभिलेखीकरण कर इस पर शोध किए जाएंगे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि शोध कार्यों के मद्देनजर परिषद चंबा हर्बल गार्डन को आयुर्वेद विवि को देगी। इसके एवज में परिषद को बागेश्वर जिले में कस्तूरा मृग फार्म के विस्तार को सरकार द्वारा भूमि दी जाएगी। -साभारः दैनिक जागरण’

* केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, पतंजलि और आयुर्वेद विवि के मध्य हुआ एमओयू ।

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