नशामुक्ति अभियान: प्रयागराज कुम्भ-2019ः स्वामी जी महाराज ने चिलम मुक्ति अभियान शुरू किया ।
प्रयागराज। ऐसी मान्यता है कि जहां नागा होंगे, वहां चिलम और गांजा भी होगा। कुंभ मेला में भी ये नजारा खूब दिख रहा है। ऐसे में अगर कोई उनसे गांजा और चिलम छोड़ने के लिए कहे तो असंभव जैसा लगता है। लेकिन योग कला से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने वाले श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कुंभ मेले में अनोखी पहल की है। उन्होंने साधु-संतों व नागा बाबाओं के हाथ से चिलम छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। अनूठा है अभियान: योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज…
प्रयागराज। ऐसी मान्यता है कि जहां नागा होंगे, वहां चिलम और गांजा भी होगा। कुंभ मेला में भी ये नजारा खूब दिख रहा है। ऐसे में अगर कोई उनसे गांजा और चिलम छोड़ने के लिए कहे तो असंभव जैसा लगता है। लेकिन योग कला से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करने वाले श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कुंभ मेले में अनोखी पहल की है। उन्होंने साधु-संतों व नागा बाबाओं के हाथ से चिलम छुड़ाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है।
अनूठा है अभियान: योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने संगम नगरी प्रयागराज से एक अनूठे अभियान की शुरुआत की। श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज की सुबह-सुबह कई अखाड़ों में पहुंचे और झोली फैलाकर नागा साधुओं से नशा छोड़ने का अनुरोध किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि चिलम नहीं पीना चाहिए। इसे छोड़ने में ही भलाई है। उन्होंने साधु, संतों व नागा बाबाओं को समझाया कि चिलम से एकाग्रता नहीं बढ़ती है, बल्कि मानसिक बीमारी बढ़ने लगती है। कई अन्य बीमारियां शरीर में घर बना लेती हैं।
कई बाबाओं ने लिया संकल्प: योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज की पहल पर निर्मोही अखाड़े के महंत पूज्य राजेंद्र दास जी महाराज ने चिलम छोड़ने का संकल्प लिया। निर्मोही अखाड़ा वही अखाड़ा है जो शाही स्नान में सबसे पहले स्नान करता है। उसके बाद अखिल भारतीय पंच तेरा भाई त्यागी खालसा अखाड़ा त्यागियों की जमात में भगवतदास, तुलसीदास, लाल बाबा, मनोज दास जी ने सैकड़ों साधु-संन्यासियों को चिलम छोड़ने व नशा का सेवन बंद करने का संकल्प दिलवाया।
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