एम.ओ.यू. भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि व एमिटी ने मिलायें हाथ…
पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन तथा एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर हरिद्वार। पतंजलि एवं एमिटी ने साझा अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए। भारतीय प्राचीन शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा और पारम्परिक स्वास्थ्य को देश व दुनिया में प्रतिष्ठापित करने वाले पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने एमिटी विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ.अशोक के.चैहान के साथ मिलकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मिशन, जैसे- मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत…
पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन तथा एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर
हरिद्वार। पतंजलि एवं एमिटी ने साझा अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए। भारतीय प्राचीन शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा और पारम्परिक स्वास्थ्य को देश व दुनिया में प्रतिष्ठापित करने वाले पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने एमिटी विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ.अशोक के.चैहान के साथ मिलकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मिशन, जैसे- मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत और स्किल इंडिया को पूरा करने का संकल्प लिया है। पतंजलि ने समय-समय पर प्राचीन भारतीय संस्कृति और चिकित्सा पद्धति की पारम्परिक प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता दिखाई है। इस समझौते पर एमिटी साइंस, टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फाउण्डेशन के अध्यक्ष डाॅ. डब्ल्यू, सेल्वामूर्ति तथा पतजंलि रिसर्च फाउंडेशन (ट्रस्ट) के उपाध्यक्ष डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय ने पूज्य योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज, श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज तथा सम्मानित अतिथि डाॅ. नवल कुमार, माननीय सलाहकार, आयुष मंत्रालय की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। यह संयुक्त उद्यम दोनों संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह युवाओं को भारत में नौकरी के अवसर प्रदान करने और चिकित्सा की पारम्परिक प्रणाली का कायाकल्प करने का भी एक मंच होगा। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि हम पतंजलि के माध्यम से प्राचीन साहित्य को पुनर्जीवित कर रहे हैं तथा इसे समकालीन विश्व में समझाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि इसकी प्रतिष्ठा बनी रहे और यह बाहरी कारकों से प्रभावित न हो उक्त समझौते के तहत दोनों संस्थानों को समान अवसर प्राप्त होंगे। समझौते से बौद्धिक सम्पदा का सृजन होगा, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर लाभ होगा।
श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि उक्त समझौते में मुख्य बिन्दु रिसर्च स्काॅलर्स के साथ-साथ जो लोग हमारे वेदों में वर्णित पारम्परिक औषधियों पर काम करना चाहते हैं, उनके लिए अनुसंधान के नये अवसर सुलभ कराना, आयुष तथा केन्द्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं/कौशल विकास परियोजनाओं और संयुक्त पी.एच.डी. गाइड में संयुक्त परियोजनाओं को प्रस्तुत करना, साझा अनुसंधानपरक प्रकाशनों के माध्यम से विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज व रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करना, छात्र प्रशिक्षण तथा छात्र विनिमय कार्यक्रम लागू कर छात्रों के लिए नये तकनीकी कौशल (जिन्हें पारम्परिक ज्ञान के साथ शामिल किया जा सकता है) के अवसर प्रदान करना, विभिन्न प्राचीन उत्पादों के अभियांत्रिकीकरण, फार्माकोलाॅजी के कार्य-तंत्र का अध्ययन करना, बिजनेस मैनेजमेंट साॅफ्टवेयर और मोबाइल एप्स डवलपमेंट का विकास तथा परिधान डिजाइनिंग के लिए फैशन टेक्नोलाॅजी में सहयोगी आदि हैं।
कार्यक्रम में श्रद्धेय आचार्य श्री ने समकालीन समय में 40,000 से अधिक श्लोकों की रचना करने के कई तरीकों का उल्लेख किया। इसके अलावा, उन्होंने इस दुनिया में 61 पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियों का भी उल्लेख किया है। पूज्य आचार्य श्री वैश्विक मंच पर चिकित्सा की सभी भारतीय प्रणालियों के ज्ञान का प्रसार करने के लिए उत्सुक हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, वह दुनिया के सभी देशों के 65,000 औषधीय पौधों के औषधीय महत्व को विश्व की सभी मौजूद भाषाओं में बता रहे हैं, यह एक अनूठा विश्व रिकाॅर्ड माना जाता है। डाॅ. डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने हर्बल अनुसंधान, औषधीय अनुसंधान, प्राकृतिक उत्पाद विकास, जैव प्रौद्योगिकी, फाइटोकेमिस्ट्री, सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य प्रौद्योगिकी और योग के क्षेत्र में उपलब्ध अनुसंधान पर प्रकाश डाला, जो पतंजलि के अनुसंधान और विकास प्रयासों में लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व वेदों पर आधारित सस्ती स्वास्थ्य सेवा का माॅडल उपलब्ध कराने के लिए भारत की ओर देख रहा है। इस सहयोग से बड़े पैमाने पर हमारी भारतीय पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को वैज्ञानिक आधार पर रखा जा सकता है। इस अवसर पर डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी ने कहा कि यह सहयोग भारतीय चिकित्सा पद्धति को एक वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए बहुत आवश्यक आवेग प्रदान करेगा, जहाँ दुनिया इसकी महिमा का गवाह बनेगी। यह साझेदारी प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान करने की दिशा में काम करेगी।
कार्यक्रम में एमिटी की ओर एमिटी फाउंडेशन फाॅर साइंस, टेक्नोलाजी एंड इनोवेशन एलायंस के डायरेक्टर जनरल डाॅ. राजीव शर्मा, एमिटी साइंस टेक्नोलाजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डाॅ.ललित भारद्वाज, एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी के निदेशक प्रो.चन्द्रदीप टण्डन, कैप्टन एस.के. शुक्ला सहित लगभग 40 साइंटिस्ट, एमेरिट्स साइंटिस्ट, प्रोफेसर्स, असिस्टेंट प्रोफेसर्स की टीम ने भाग लिया। पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन (ट्रस्ट) की ओर से डाॅ. वेदप्रिया, डाॅ. अनुपम, श्री पंकज, श्री अतुल, श्री रामकृष्ण, श्री सुमन, श्री सुशील, श्री निमय, श्री गिरिराज आदि उपस्थित रहे।