पतंजलि योगपीठ में माघ पूर्णिमा पालन समारोह में की गई चर्चा

110वाँ माघ पूर्णिमा यज्ञ: वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ में 110वां माघ पूर्णिमा पालन समारोह के दौरान यज्ञ आहुति और शास्त्र चर्चा की गई। आयोजन के प्रातःकाल सत्र में योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज यज्ञ के बाद साधकों को योगाभ्यास कराया। इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल है। वैदिक धर्म शास्त्र विचार सभा में परमहंस शिवनारायण स्वामी महाराज ने कहा कि वैदिक धर्म में आत्मा और ब्रह्म के संबंध को बहुत…

110वाँ माघ पूर्णिमा यज्ञ: वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल

हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ में 110वां माघ पूर्णिमा पालन समारोह के दौरान यज्ञ आहुति और शास्त्र चर्चा की गई। आयोजन के प्रातःकाल सत्र में योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज यज्ञ के बाद साधकों को योगाभ्यास कराया। इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल है।

वैदिक धर्म शास्त्र विचार सभा में परमहंस शिवनारायण स्वामी महाराज ने कहा कि वैदिक धर्म में आत्मा और ब्रह्म के संबंध को बहुत अधिक महत्त्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिसे इस बात का ज्ञान हो जाएगा कि इस समस्त सृष्टि के कण-कण में ब्रह्म का वास है वह किसी पर नाराज नहीं होगा और न ही किसी के साथ बुरा व्यवहार करेगा। कार्यक्रम में पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि वैदिक धर्म वैदिक सभ्यता का मूल है। वैदिक सनातन वर्णाश्रम और आधुनिक हिन्दू धर्म इसी धार्मिक व्यवस्था पर आधारित हैं। उन्हांेने कहा कि प्राचीन वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म का धार्मिक व्यवहार विभिन्न वेद शाखा संबद्ध कल्पसूत्र, श्रौतसूत्र, गृृह्यसूत्र, धर्मसूत्र आदि ग्रन्थों पर आधारित है। इसके अलावा अर्वाचीन वैदिक आर्य समाज केवल वेदों के संहिता खण्ड को ही स्वीकारते हैं। पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि धर्म को पाने के लिए भी तप करना जरूरी है और तप के लिए इंद्रियों पर संयम होना अति आवश्यक है। (ब्यूरो) -साभारः अमर उजाला’

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