योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी क्रांति के बाद देश में शिक्षा की क्रांति के लिए एक….

जनांदोलन खड़ा करेगा पतंजलि 1. भारतीय शिक्षा बोर्ड-शिक्षा में एक नई क्रांति- 1835 में मैकाले ने इंडियन एजुकेशन एक्ट बनवाकर एक बहुत बड़े षड्यन्त्र के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा, गुरुकुलीय वैदिक शिक्षा पद्धति को खत्म किया। मैकाले के इस विद्या अपराध या शिक्षा के क्षेत्र में जो पाप पिछले लगभग 200 वर्षों से चल रहा है और हमें अपनी जड़ों से दूर करके वेद, दर्शन, उपनिषद् गीता, रामायण, महाभारत एवं पुराणादि की मूल्यनिष्ठ, आध्यात्मिक, नैतिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा-दीक्षा एवं सनातन संस्कारों से वंचित कर दिया था; अब विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर…

जनांदोलन खड़ा करेगा पतंजलि

1. भारतीय शिक्षा बोर्ड-शिक्षा में एक नई क्रांति- 1835 में मैकाले ने इंडियन एजुकेशन एक्ट बनवाकर एक बहुत बड़े षड्यन्त्र के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा, गुरुकुलीय वैदिक शिक्षा पद्धति को खत्म किया। मैकाले के इस विद्या अपराध या शिक्षा के क्षेत्र में जो पाप पिछले लगभग 200 वर्षों से चल रहा है और हमें अपनी जड़ों से दूर करके वेद, दर्शन, उपनिषद् गीता, रामायण, महाभारत एवं पुराणादि की मूल्यनिष्ठ, आध्यात्मिक, नैतिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा-दीक्षा एवं सनातन संस्कारों से वंचित कर दिया था; अब विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर एवं अन्य श्रेष्ठतम आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक आध्यात्मिक शिक्षा का समावेश करके भारतीय शिक्षा बोर्ड के द्वारा शिक्षा के भारतीयकरण या स्वदेशीकरण का एक ऐतिहासिक कार्य प्रारम्भ हो गया है। भारत का प्रत्येक अभिभावक, माता-पिता यह चाहता है कि उसके बच्चे को श्रेष्ठतम आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा मिलने के साथ श्रेष्ठतम संस्कार मिलें। अपने देश, धर्म, संस्कृति एवं गौरवशाली इतिहास के बारे में सही जानकारी मिले, यह कार्य अब पतंजलि आप सबके आशीर्वाद एवं सहयोग से करेगा।

2. शिक्षा, संस्कार एवं विचार की भूमिका- जीवन में हम सफल-असफल, अच्छे-बुरे, सुखी-दुःखी, अमीर-गरीब, राष्ट्रवादी या आतंकवादी जो कुछ भी होते हैं, उसमे सबसे बड़ी भूमिका बचपन से मिले शिक्षा, संस्कार व विचार की होती है। शिक्षा आधार है हमारी नई पीढ़ी का, नये भारत के भविष्य का, हमारे दिशा एवं दशा का। हम भारत को विश्व का श्रेष्ठ एवं सर्वाधिक शक्तिशाली, राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो वह शिक्षा के परिवर्तन से ही होगी, व्यवस्था परिवर्तन का आधार भी शिक्षा में परिवर्तन ही है। सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं अनुसंधानादि समाज जीवन के हर क्षेत्र में जो कुछ भी आज हो रहा है, अच्छा या बुरा, उसका आधार शिक्षा आधारित संस्कार एवं विचार ही हैं। शिक्षा की दिशा सही होने से देश सभी दिशाओं से सब प्रकार से उन्नत होगा और भारत भारतीयता के संस्कारों व विचारों के साथ समृद्धि का शिखर आरोहण पाएगा।

3. एक आह्वान-देश की युवा शक्ति से- हमारा जीवन एक अमूल्य निधि है। हमें जीवन को समग्रता से देखते हएु इसकी दिशा तय करनी चाहिए कि जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या हो सकती है? पतंजलि पिछले 24 वर्षों से धर्म, अध्यात्म, संस्कृति व स्वाभिमान के लिए प्रयासरत है। परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज की दिव्य प्रेरणाओं से सेवा का यह कार्य आज तक जितना आगे बढ़ पाया है, इसमें सम्पूर्ण देशवासियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। प्रत्येक कार्य को अनवरत आगे बढ़ाने के लिए योग्य व्यक्तियों की जरूरत होती है। आज तक किसी भी राष्ट्र की उन्नति का मुख्य कारण इतिहास मे अंकित हुआ है, तो वह है युवाओं की दिशा और शिक्षा के क्षेत्र में किया गया मुख्य बदलाव और यदि किसी देश का पतन, धर्म, अध्यात्म, संस्कृति या सभ्यता का पतन भी देखा गया है, तो वह शिक्षा में आई गिरावट के कारण ही देखा गया है।

हमारे देश की महान् संस्कृति व सभ्यता करोड़ों वर्षों से अनवरत रही है, और इसका मुख्य कारण हमारी गुरुकुलीय शिक्षा व्यवस्था है। वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में यदि देखें तो देश को सर्वाधिक आवश्यकता शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक कार्य करते हुए आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ हमारी परम्परागत शिक्षा को प्रदान करना है। इसके लिए महत्त्वपूर्ण कार्य पतंजलि योगपीठ द्वारा शुरू हुआ है। आज देश में एक हर्ष का विषय है कि पतंजलि इस दिशा में प्रामाणिक कार्य कर रहा है। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज इस कार्य को सर्वाधिक प्राथमिकता देते हुए अधिक से अधिक संसाधन जुटाने का भगीरथ प्रयास कर रहे हैं। इसी के तहत जरूरत है ऐसे अमर हुतात्माओं की देश, धर्म, अध्यात्म व संस्कृति के लिए सर्वात्म न्यौछार करने की क्षमता रखने वाली क्रांतिकारियों की, जो आजीवन इस राष्ट्रधर्म का पालन करने का हौंसला रखते हों।

हमारी संस्कृति, धर्म, अध्यात्म व दर्शन का प्रचार हमारा परम दायित्व है। संस्कृत को जानने के लिए गुरुकुल में रहकर अध्ययन की आवश्यकता है। यह सत्य है कि गुरुकुल में धन की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल धन होना किसी भी दृष्टि से पर्याप्त नहीं है, धन से साथ-साथ वैदिक धर्म ध्वजा को आगे ले जाने के लिए संकल्पित व समर्पित आत्माओं की जरूरत है, जो संस्कृत व्याकरण, दर्शन, उपनिषद्, वेद-वेदांगों का अध्ययन कर राष्ट्रसेवा का कार्य करेंगे। ऐसे सैकड़ों भाई-बहन माँ भारती की आजीवन सेवा का व्रत लेकर वैदिक गुरुकुलम् व वैदिक कन्या गुरुकुलम् में पूर्ण निष्ठा एवं श्रद्धापूर्वक अध्ययन-अध्यापन कर रहे हैं।

हमारे सभी क्रांतिकारी शहीदों ने अपने महान् जीवन के अन्तिम क्षणों में यह इच्छा व्यक्त की थी, कि वे पुनः इसी धरती पर जन्म लेंगे और माँ भारती की बलिवेदी पर तब तक न्यौछावर होते रहेंगे, जब तक माँ भारती की इन जंजीरों या बेड़िया को नष्ट नहीं किया जाएगा। आज देश में आप ही के मध्य वे क्रांतिकारी मौजूद हैं।

आज हमारा देश प्रगति कर रहा है, विदेशों की तरह भौतिक उन्नति भी कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच भारत की पहचान व गौरव धर्म, दर्शन, अध्यात्म व संस्कृति भी अनवरत रहे, इसके लिए सैकड़ों योग्य भाई-बहनों की जरूरत है, जो इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परिचय देकर माँ भारती की सच्ची सेवा करना चाहते हैं। इसके लिए रामनवमी के पावन अवसर पर पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में विशेष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। भले ही आपने इससे पहले किसी भी क्षेत्र में अध्ययन किया हो, या सेवा दे रहे हों, राष्ट्र सेवा के इस यज्ञ में आहुति के लिए आप आमंत्रित है।

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