योग शिविर: योग-ध्यान के माध्यम से सरल जीवन
होसपोट (कर्नाटक)। ‘योग और ध्यान इनके अभ्यास से केवल स्वास्थ्य लाभ ही नहीं बल्कि अमीर-गरीब का भेदभाव मिटाकर हर एक को सरल जीवन की ओर लौटाने का माध्यम भी सिद्ध होता है।’ यह वक्तत्व था हंसाबा शारदाश्रम के अध्यक्ष माता प्रबोधमयी जी के कहा। स्थानीय पतंजलि योग समिति के दशमानोत्सव के तहत होसपेट नगर के ‘सहकारी गृृह निर्माण मंडली’ के मैदान में आयोजित एक बृहत्् विराट योग शिविर का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कहीं कि- ‘हम सब को योग और ध्यान का अभ्यास एक सरल तथा उत्कृष्ट जीवन…
होसपोट (कर्नाटक)। ‘योग और ध्यान इनके अभ्यास से केवल स्वास्थ्य लाभ ही नहीं बल्कि अमीर-गरीब का भेदभाव मिटाकर हर एक को सरल जीवन की ओर लौटाने का माध्यम भी सिद्ध होता है।’ यह वक्तत्व था हंसाबा शारदाश्रम के अध्यक्ष माता प्रबोधमयी जी के कहा।
स्थानीय पतंजलि योग समिति के दशमानोत्सव के तहत होसपेट नगर के ‘सहकारी गृृह निर्माण मंडली’ के मैदान में आयोजित एक बृहत्् विराट योग शिविर का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कहीं कि- ‘हम सब को योग और ध्यान का अभ्यास एक सरल तथा उत्कृष्ट जीवन के आचार, विचार व्यवहार की ओर जीवन बिताने में सहायक होते हैं। ये उन्नत व उत्कृष्ण व्यवहार ही हमारे अन्दर सेवा भाव को जागृत कराके समाज, राष्ट्र और विश्व के प्रति कुछ योगदान करने का तड़प को उत्पन्न करते हैं। यह भाव अगर सभी के अन्दर आ जाये तो हमारे समाज व देश समृद्ध होने में पूरक होता है।’ इसी दौरान कर्नाटक राज्य-प्रभारी श्री भंवरलाल आर्य जी ने कहा ‘शुरुवात के समय यहाँ के पतंजलि समिति के योगाभ्यास करने के लिए कुछ गिनेचुने लोग ही आया करते थे। धीरे-धीरे होसपेट समित सारे बेल्लारि जिले के हजारों लोग योग से जुड़गये। योग को अपने जीवन के अविभाज्य अंग ही बनालिया। इन लोगों के सहयोग के फलस्वरूप में ही यहाँ के पतंजलि योग समिति अपने दशमानोत्सव मनाने में सफल हुवा है।’ इस प्रकार वे अपनी मन का सन्तोष जाहिर किया।
इस सन्दर्भ में पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी एफ.टी. हल्लीकेरी, दाक्षायणी जी महिला समिति की राज्य प्रभारी, बालचंद्र राज्य प्रभारी, संघ के कार्यदर्शी अय्यप्पा जी, युवा भारत के राज्य प्रभारी किरण कुमार जी, कृष्ण जी, गोग्ग विश्वनाथ जी, एच.श्रीनिवास जी एवं श्रीपाद शेट्टी जी ये सब गण्यमान्य मंच पर उपस्थित थे। वहाँ सैकड़ों शिविरार्थी लोगों को योगाभ्यास भी कराया गया। इसी संदर्भ में ‘योग विजय’ नाम का एक स्मारिका पुस्तिका का विमोचन भी हुआ।