ई0ओ0 नागपुर स्पार्क सम्मेलन में: व्यापार सम्मेलन में पतंजलि के स्वदेशी के आंदोलन का दर्शन

ई0ओ0 नागपुर स्पार्क सम्मेलन में: व्यापार सम्मेलन में पतंजलि के स्वदेशी के आंदोलन का दर्शन

दक्षिण एशिया की जानी मानी व्यापारी हस्तियों द्वारा नागपुर में आयोजित ई.ओ. स्पार्क व्यापार सम्मेलन में परम पूज्य योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज के विशेष साक्षात्कार के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश –  क्या आप साइंटिस्ट संन्यासी है? मैं तंत्र-मंत्र-यंत्र-षड्यंत्र, शनि, राहु, केतु, भूत, प्रेत, वास्तु, ज्योतिष के नाम पर एक बार भी कभी भी, किसी भी प्रकार का अंधविश्वास नहीं फैलाता।देश में जातिवाद और संप्रदायवाद को नहीं फैलाता। मैं जहाँ भी काम करता हूँ- चाहे वह योग है, आयुर्वेद है, स्वदेशी है, शिक्षा, कृषि या अनुसंधान जहाँ भी मैं काम करता…

दक्षिण एशिया की जानी मानी व्यापारी हस्तियों द्वारा नागपुर में आयोजित ई.ओ. स्पार्क व्यापार सम्मेलन में परम पूज्य योगर्षि

स्वामी रामदेव जी महाराज के विशेष साक्षात्कार के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश –

  •  क्या आप साइंटिस्ट संन्यासी है?

मैं तंत्र-मंत्र-यंत्र-षड्यंत्र, शनि, राहु, केतु, भूत, प्रेत, वास्तु, ज्योतिष के नाम पर एक बार भी कभी भी, किसी भी प्रकार का अंधविश्वास नहीं फैलाता।देश में जातिवाद और संप्रदायवाद को नहीं फैलाता। मैं जहाँ भी काम करता हूँ- चाहे वह योग है, आयुर्वेद है, स्वदेशी है, शिक्षा, कृषि या अनुसंधान जहाँ भी मैं काम करता हूँ, साइंटिफिक एप्रोच के साथ करता हूँ। आज हिन्दूस्तान में हमने दो लाख लोगों को रोजगार दिया, एक करोड़ से ज्यादा किसानों को अपने साथ जोड़ा। हमने विश्व के पाँच बड़े इन्स्टीट्यूट दिये हैं, जिसमें विश्व का सबसे बड़ा योग का इन्स्टीट्यूट है, वह भी सांइटिफिक रिसर्च के साथ। विश्व का सबसे बड़ा फूड पार्क, विश्व का सबसे बड़ा योग आयुर्वेद का अनुसंधान संस्थान, विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक चिकित्सा का केन्द्र और विश्व का सबसे बड़ा पारम्परिक व आधुनिक शिक्षा जो जोड़ने वाला पतंजलि विश्वविद्यालय। हमने ये पाँच बड़ी देन देश को दी हैं।

  •  क्या आप हैं कि आपने इनमें बड़ी सफलता प्राप्त की? क्या पहले लोगों ने इसे ट्राई नहीं किया? क्या आजकल स्वदेशी में ज्यादा विश्वास है?

काम बहुत ज्यादा अलग-अलग नहीं होते। आप उस कार्य को कितने जुनून से करते हैं और क्या उसमें वैल्यू एडिशन है, नई पीढ़ी के साथ, नये संसार के साथ आपका जुड़ाव कैसा है, इस पर निर्भर करता है। मैंने योग का वैल्यू एडिशन किया, मुझसे पहले पूर्वज ऋषि तो सभी योगी थे, बीच में धीरेन्द्र ब्रह्मचारी जी ने भी किया, लेकिन कोई योगी देश-दुनिया में पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज की तरह लोकप्रिय नहीं हो पाया। लागों ने योग को बहुत जटिल सा बना दिया था। मैंने रहस्य की सारी पर्तें हटाई और योग को त्वरित उपचार (इंस्टेंट ट्रीटमेंट) के रूप में प्रस्तुत किया। अभी करो, अभी पाओ। योग से रक्तचाप, मधुमेह, थाइराइड, हेपेटाइटिस, कोलाइटिस, सोराइसिस आदि ठीक कर दिये। मैंने योग को सरलीकृत (सिम्प्लिफाइड) किया। आधुनिक विज्ञान जिसे लाइलाज बता रहा था, मैंने उसे क्योर कर दिया। उसके सांइटिफिक एवीडेंस है। दुनियां में जो नहीं हुआ, वह मैंने योग के द्वारा किया। विश्व का सबसे बड़ा फूड पार्क हमने बनाया, उसमें भी हमने मूल्य संवर्धन (वेल्यु एडिशन) किया है। नो एडल्टेशन, अधिकतम जितना हो सके प्राकृतिक, जैविक और खासकर कम मूल्य पर उच्च गुणवत्ता की वस्तुएँ तैयार कीं।

आज तक किसी भी बाबा ने कोई रिसर्च सेंटर नहीं बनाया, हमने वह बनाया और प्रधानमंत्री जी से उद््घाटन करवाया। जिससे दुनिया का ध्यान जाएं कि मैं झोपड़ी में रहता हूँ, जमीन पर सोता हूँ, लेकिन मैं सांइटिफिक रिसर्च, इनोवेशन इन्वेंशन में भरोसा रखता हूँ। और वेल्थ का प्रोसेस क्या है? जब आपका नाॅलेज, इनोवेशन इन्वेंशन प्रोडक्टिविटी, क्रियेटिविटी और आपके पास में जो कुछ भी है, चाहे आपके पास शक्ति है या आपकी कमियाँ, कमजोरियाँ है या जो भी उत्तम है, उन सबको आप वेल्थ में कैसे कन्वर्ट कर सकते हैं। तो इसके लिए जो आज तक किसी ने नहीं सोचा, फोकस नहीं किया, वह हमने सोचा और करके दिखाया। क्योंकि केवल सोचने से बात नहीं बनती, उसको निरन्तर तब तक आगे बढ़ाया, जब तक वह सफलता के शिखर पर नहीं पहुँच गया।

  •  सूत्रों के अनुसार आप पतंजलि को चाइना लेकर जा रहे हैं, क्या प्लान है आपका वहाँ?
    चाइना ही नहीं पूरी दुनिया में लेकर जा रहे हैं, ब्रिटेन भी लेकर जा रहे हैं, यूरोप में लेकर जा रहे हैं और इंग्लैण्ड बहुत सारा माल हमसें लूट कर लेकर गया, कुछ काटकर हम भी लेकर आएंगे।
  •  आपको लगता है ऐसे माॅर्केट्स है वहाँ? और चाइना की सरकार भी आपके साथ है जमीन दे रही है?
    पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज पिछले दिनों जब चाइना गए, तो दस हजार एकड़ देने का उन्होंने प्रस्ताव दिया है। पतंजलि योगपीठ जैसा एक पूरा सेंटर बनाकर देने का प्रपोजल उन्होंने दिया है।
  •  आप इस तरह कैसे कहेंगे, कि आप मल्टीनेशनल से अलग है?

यह आप किसी से भी पूछ सकते हैं कि पतंजलि और डछब्श्े में क्या अन्तर है? वो रोजगार के नाम पर, कुछ सिक्रेट राॅ मैटीरियल भेजने के नाम पर, प्रोफिट के नाम पर हर साल लाखों-करोड़ों रुपये देश के बाहर लेकर जाती है। करीब 50 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा है। पतंजलि लो-प्रोफिट पर काम करती है, उसमें भी 100 प्रतिशत चैरिटी की जाती है। हमारा यह संकल्प, विजन या प्रिंसिपल है कि हमारा अर्थ परमार्थ के लिए है। विदेशी कम्पनियों की बात छोड़ो, बिरला, डालमिया आदि कोई भी हो आए मैदान में और बताएं कि क्या उनका 100 प्रतिशत प्रोफिट चैरिटी के लिए होता है।

दूसरी बात, हम लो-प्रोफिट वाले बिजनेस को सफल करना जानते हैं। इसलिए पतंजलि ने सबसे बड़ा फूड पार्क बनाया, आज तक कोई भी काॅपोरेट फूड बिजनेस में सफल नहीं हो पाया था।

तीसरी बात, मैं मात्र एक आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने वाला संन्यासी नहीं हूँ। मैंने देश के करोड़ों लोगों को रोग मुक्त किया है। करोड़ों लोग को नशामुक्त किया है, करोड़ों के जीवन में आशा और विश्वास जगाया है, आत्मस्पर्धा और आत्म-प्रेरणा से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। सबसे बड़ी बात है कि विदेशीं कम्पनियों के सामने कोई देशी ब्राण्ड भी खड़ा हो सकता है, देशवासियों में यह विश्वास जगाया है। यह अन्तर है डछब्श्े और पतंजलि में।

  •  आपने शिक्षा में भी अपना ब्राण्ड स्थापित करने के प्लान्स बनाये हैं। आप कहते हैं कि भारत की ग्लोबल यूनिवर्सिटी होनी चाहिए, क्या कहेंगे आप?

अभी करीब 10 हजार बच्चों को शिक्षा-दीक्षा दी है। मैं हिन्दुस्तान में अच्छे डाॅक्टर देखना चाहता हूँ, अच्छे इंजीनियर, अच्छे सांइटिस्ट्स, अच्छे पाॅलिटीशियन, अच्छे काॅपोरेट देखना चाहता हूँ और अच्छे संन्यासी भी बना रहा हूँ।

मैं एक सपना लेकर जी रहा हूँ कि जब 85 लाख की आबादी वाला इजराइल देश विश्व में एक मजबूत देश बनकर खड़ा है और सारी दुनिया उसका लोहा मानती है, तो मैं भारत में भी ऐसे नागरिक तैयार करना चाहता हूँ जो भारत को पूरे विश्व में सशक्त बनाने में अग्रसर हों। इसलिए हमने एक हजार एकड़ जमीन ले ली है, और आने वाले समय में पतंजलि का अधिकतम करीब 70-80 प्रतिशत लाभांश उसी के लिए जाएगा। इसमें 20-25 साल लग सकते है। मैं जहाँ तक पहुँचा हूँ, वह भी 20-25 सालों में पहुँचा हूँ, एक दिन में नहीं। अगले बीस सालों में मैं विश्व की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी भारत को दूँगा, जिसमें एक लाख बच्चें पढ़ सकंेगे और भारत के बच्चे जो पढ़ने के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन जा रहे हैं, उन्हें नहीं जाना पड़ेगा। बल्कि दुनिया के लोग भारत में पढ़ने के लिए आएंगे, वह दिन मैं देखना चाहता हूँ। जैसे भारत के लोग विदेशी दूतावासों के सामने वीजा के लिए लाईन में लगते हैं, मैं वो दिन देखना चाहता हूँ जब भारत के दूतावासों में विदेशी लोग लाईन में खड़े हो और हम चयन करें कि कौन यहाँ पढ़ने के लिए आएगा।

  •  विदेशी भाषा के बारे में आपका एक व्यू है, क्या आपको लगता है कि भारत में विदेशी भाषा और विदेशी विश्वविद्यालय कम प्रचलित होनी चाहिए?
    मेरी पहली प्राथमिकता हिंदी भाषा है, फिर संस्कृत है। मैं तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, बांग्ला आदि कम से कम 25 भाषाओं को समझता हूँ और पाँच भाषाओं में बोलना जानता हूँ, लेकिन मैं कहता हूँ कि अपनी भाषा पर गर्व करें और यही होना चाहिए। सांइस और टेक्नाॅलोजी भाषा से नहीं ब्रेन (मस्तिष्क) से आती है। कोरियन लोगों ने अपनी कोरियन भाषा में अपने अनुसंधान व अध्ययन किये। जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी और चाइना के लोगों ने भी अपनी स्वयं की भाषा में रिसर्च किए हैं।
  •  जैसे आपने कहा कि योग वैश्विक स्तर पर स्वीकृत है, योग दिवस भी मनाया जा रहा है, आपको क्या लगता है कि आने वाले समय में लोग योग के कंसेप्ट को कैसे ग्रहण करेंगे, ऐसे समय पर जब बहुत सारे लोग प्रदूषण, फिटनेस और स्वास्थ्य के कारण से जागरूक हो रहे है?
    प्रदूषण एक बहुत बड़ी चुनौती है या यूँ कहें कि पूरे विश्व की सबसे बड़ी चुनौती और क्राइसेस प्रदूषण ही है। स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण हमारे सामने सबसे बड़ा चुनौती है और आगे वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा ये तीनों बड़ी चुनौतियाँ हमारे सामने रहेंगी। डाटा कोलोनाइजेशन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी के नाम पर कोलोनाइजेशन होगा और प्रकृति व वातावरण का विध्वंस होगा। इससे बचने के लिए हमें सोचना पड़ेगा। मैं इस दिशा मंे भी सोचता हूँ।
  • आपने डेटा कोलोनाइजेशन के बारे में बोला, आजकल की हेडलाइन्स भी है। भारत चाहता है कि हमार डेटा ;स्वबंसल ेजवतमद्ध रहना चाहिए, आप क्या कहेंगे? यह काम अभी तक क्यूँ नहीं हुआ?
    ऐसा होना चाहिए। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स-एप से भी बड़ी चीजें हम हिन्दुस्तान में खड़ी कर सकते है। लोग कहते है बाबा आप यह कर दो। मैं ही करूँगा, तो तुम क्या करोगे सब? चाइना ऐसा कर भी रहा है। भारत में ऐसा अभी तक इसलिए नहीं हुआ कि लेाग यह सोचते है कि ये (कम्पनियाँ) इतनी बड़ी है, इनके सामने हम खड़े केसे हो पाएंगे। यह एक विघ्न और दीवार है, मैं इसे ढ़हाना चाहता हूँ। मैं तुम्हारे सामने हूँ, अनपढ़ माँ-बाप के घर में पैदा हुआ, सरकारी स्कूल और गुरुकुल में पढ़कर आया और जब इन विदेशी कम्पनियों से भी बड़ा ब्राण्ड देश में खड़ा कर दिया तो तुम्हारी ताकत इसमें नहीं है कि तुमने किस विदेशी कम्पनी में कितना बड़ा पद (ओहदा) पा लिया है या किसी दूसरी कम्पनी के लिए जाॅब वर्क करते हो। नहीं, तुम्हारी ताकत यह है कि हिन्दुस्तान में साइंस, टेक्नाॅलोजी, इन्नोवेशन, इन्वेन्शन, प्रोक्डशन, मैन्यूफैक्चरिंग, किसी भी क्षेत्र में हो, तुम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कर सकते हो, लेकिन उसके लिए कुछ पागल लोग चाहिए….. मेरे जैसा।
  •  नया ब्राण्ड खड़ा करने के लिए क्या करें?
  • आपको नये ब्राण्ड खड़ा करने के लिए नया करना पड़ेगा। मैंने नई-नई चीजों को खोजा और उन्हें लगातार प्रचलित किया, ऐसे नहीं कि एक कार्य चालू किया फिर दूसरा चालू कर दिया और पहला छोड़ दिया। जब तक लौजिकल क्लोजिंग तक नहीं पहुँच जाओ, तब तक अपने काम में लगे रहो। एक दिन तुम दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लोगे। आर्थिक, राजनेतिक, सामाजिक, धार्मिक क्षेत्र में सफलता का सबसे बड़ा आधार निरंतरता ही है। सब लोग केमिकल वाले टूथपेस्ट कर रहे थे, केमिकल वाले शैम्पू प्रयोग करते थे। हमने दन्तकांति और केशकांति जैसे आयुर्वेदिक उत्पाद दिये। मैंने एलोविरा का ब्रांण्ड खड़ा कर दिया। जो किसान राजस्थान की बंजर भूमि में एक एकड़ में पाँच-दस हजार की भी पैदावार नहीं कर पाते थे। 50 हजार से 1 लाख रुपये प्रति वर्ष एक एकड़ में श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज और पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज और पतंजलि उन किसानों को देता है एवं सैकड़ों करोड़ रुपये हम किसानों के घर में हर साल सीधा एलोविरा के माध्यम से पहुँचाते हैं। जिनको चारांे वेदों के नाम नहीं पता, उन्हें भी वेदशक्ति निकालना पड़ा। अब डछब्श्े को ऐलोविरा उतारना पड़ा। देश में फ्रूट जूस थोड़ा बहुत पीते थे, मैंने देश को आँवला-ऐलोविरा के रूप में मेडिकेटेड जूस पीना सिखाया। मैंने कड़वी गिलोय का जूस पीना सिखा दिया, जिससे डेंगू, स्वाईन फ्लू, चिकनगुनिया, शुगर, बी.पी. आदि कण्ट्रोल होता है। मैं आपके सामने हूँ, पिछले चालीस साल से एक भी बार बीमारी नहीं हुआ।
  •  क्या आप आपने आपको बिजनेस मैन मानते है?
    मैं 100 प्रतिशत आध्यात्मिक व्यकित (ैचपतपजनंस डंद) हूँ। लेकिन अपने सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और राष्ट्री यह लक्ष्यों को पाने के लिए और अपने इस पूरे मिशन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया हैं।
  • एक बिजनेस मैन अपने जीवन में योग का लाभ कैसे ले सकता है?
    यदि आपको बहुत अच्छा बिजनेस करना है तो पहले तो अपने आपको संभालना आना चाहिए। जो अपने आपको नहीं संभाल पाता है वह बिजनेस को क्या संभाल पाएगा। योग करने से आपके शरीर पर, मन पर, भावनाओं और क्रियाओं पर एवं दिमाग पर नियंत्रण आएगा। 95-99 प्रतिशत आपका ज्ञान, भावनाएँ और शक्ति सुप्त अवस्था में रहती है, योग से आप उसको जागृत कर सकते है, इसलिए प्रतिदिन योग जरूर करें।

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद
स शनैर्हितमादद्यादहितं च शनैस्त्यजेत्।     हितकर पदार्थों को सात्म्य करने के लिए धीरे-धीरे उनका सेवन आरम्भ करना चाहिए तथा अहितकर पदार्थों...
अयोध्या में भगवान श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
ऐतिहासिक अवसर : भारतीय संन्यासी की मोम की प्रतिकृति बनेगी मैडम तुसाद की शोभा
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट आमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान
आयुर्वेद अमृत
लिवर रोगों में गिलोय की उपयोगिता को अब यू.के. ने भी माना