No Title

No Title

नवसस्येष्टी यज्ञ : त्योहारों को नशामुक्त रखना सबका दायित्व उत्सव : सब सात्विकता, दिव्यता व पवित्रता से होलिकोत्सव मनाएं हरिद्वार (हरिद्वार, 21 मार्च, 2019)। पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार मंे परम पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा प्रातः काल योग सत्र के पश्चात ऋतु के नवीन फसल की आहुतियों के साथ कहा कि इस ऋतु में चारों ओर खेतों में अलग-अलग प्रकार के पुष्प व फसलें तैयार होती है। योगर्षि स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य श्री महाराज द्वारा फाल्गुनी नवसस्येष्टि यज्ञ का आयोजन कर परम्परागत होली का त्योहार मनाया गया एवं समस्त…

नवसस्येष्टी यज्ञ : त्योहारों को नशामुक्त रखना सबका दायित्व

उत्सव : सब सात्विकता, दिव्यता व पवित्रता से होलिकोत्सव मनाएं

हरिद्वार (हरिद्वार, 21 मार्च, 2019)। पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार मंे परम पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा प्रातः काल योग सत्र के पश्चात ऋतु के नवीन फसल की आहुतियों के साथ कहा कि इस ऋतु में चारों ओर खेतों में अलग-अलग प्रकार के पुष्प व फसलें तैयार होती है। योगर्षि स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य श्री महाराज द्वारा फाल्गुनी नवसस्येष्टि यज्ञ का आयोजन कर परम्परागत होली का त्योहार मनाया गया एवं समस्त देशवासियों को होली पर्व की शुभकामनाए दीं। पूज्य आचार्य श्री महाराज ने कहा कि होलिकोत्सव रंगों और प्यार का पर्व है लेकिन हमने इसे दूषित कर दिया है। रंगों में रसायन की मिलावट से त्वचा रोग हो रहे हैं। जिस प्रकार से अब होली पर विभिन्न रसायनयुक्त रंगों और नशे का प्रचलन बढ़ रहा है, वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने होली पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की अपील की। कार्यक्रम में आचार्य प्रद्युम्न, साध्वी देव प्रिया, स्वामी परमार्थ देव, बहन ऋतुम्भरा, डाॅ. जयदीप आर्य, भाई राकेश कुमार, संस्कृत विद्वान आचार्य विजयपाल प्रचेता, आचार्य मनोहर लाल आर्य, आचार्य भवेंद्र सहित वैदिक गुरुकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् और पतंजलि विवि के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें। नये सत्र के पाठ्यक्रमों का शुभारम्भ पतंजलि विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में व्याकरण, दर्शन और साहित्य विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और पी-एचडी के पाठ्यक्रम का भी शुभारम्भ किया गया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि ने विद्या की प्राचीन परम्परा को बनाए रखा है। प्राचीन शिक्षा और आधुनिक शिक्षा का समन्वय करते हुए एक नया पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिसमें गुरुकुलीय परम्परा में औपचारिक शिक्षा के साथ वैदिक शिक्षा का समावेश किया गया है। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डाॅ. महावीर अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में यह एक अभिनव क्रांति है।

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद
स शनैर्हितमादद्यादहितं च शनैस्त्यजेत्।     हितकर पदार्थों को सात्म्य करने के लिए धीरे-धीरे उनका सेवन आरम्भ करना चाहिए तथा अहितकर पदार्थों...
अयोध्या में भगवान श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
ऐतिहासिक अवसर : भारतीय संन्यासी की मोम की प्रतिकृति बनेगी मैडम तुसाद की शोभा
पतंजलि योगपीठ में 75वें गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम
भारत में पहली बार पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में कोविड के नये वैरिएंट आमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान
आयुर्वेद अमृत
लिवर रोगों में गिलोय की उपयोगिता को अब यू.के. ने भी माना