पांडुलिपियों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा पतंजलि : पूज्य आचार्य श्री

पांडुलिपियों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा पतंजलि : पूज्य आचार्य श्री

संग्रहित ग्रन्थ : पांडुलिपियों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा पतंजलि: आचार्य श्री देवप्रयाग। (24 अप्रैल, 2019)। पतंजलि योगपीठ देवप्रयाग स्थित नक्षत्र वेधशाला में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपियों व ग्रन्थों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा। साथ ही यहाँ पुस्तकालय निर्माण में भी सहयोग करेगा। यह बात पतंजलि योगपीठ संस्थापक श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के सहयोगी व योगपीठ महाप्रबंधक पूज्य आचार्य बालकृष्ण ने वेधशाला भ्रमण के दौरान कही। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज अपने सहयोगियों के साथ नक्षत्र वेधशाला में संग्रहित प्राचीन गं्रथों, कलाकृतियों, खगोलीय यंत्रों आदि को देखने पहुंचे थे।…

संग्रहित ग्रन्थ : पांडुलिपियों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा पतंजलि: आचार्य श्री
देवप्रयाग। (24 अप्रैल, 2019)। पतंजलि योगपीठ देवप्रयाग स्थित नक्षत्र वेधशाला में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपियों व ग्रन्थों को संरक्षित करने में सहयोग करेगा। साथ ही यहाँ पुस्तकालय निर्माण में भी सहयोग करेगा।
यह बात पतंजलि योगपीठ संस्थापक श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के सहयोगी व योगपीठ महाप्रबंधक पूज्य आचार्य बालकृष्ण ने वेधशाला भ्रमण के दौरान कही। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज अपने सहयोगियों के साथ नक्षत्र वेधशाला में संग्रहित प्राचीन गं्रथों, कलाकृतियों, खगोलीय यंत्रों आदि को देखने पहुंचे थे। उन्होंने वेधशाला में संकलित आयुर्वेद व रसायन के प्राचीन ग्रन्थों के बारे में जानकारी ली और उनका उपयोग जनहित में करने को कहा। पूज्य आचार्य श्री ने वेधशाला में संग्रहित दुर्लभ ग्रंथों के डिजिटलाइजेशन और प्रकाशन में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस मौके पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने वेधशाला संचालक पूज्य आचार्य भास्कर जोशी जी को अपनी लिखी पुस्तकें भोजनकुतूहलम, आयुर्वेद महोदधि, आयुर्वेद रहस्य आदि भेट कीं। अपनी योग के वैज्ञानिक विवेचन आधारित ‘योग विज्ञानम्’ पुस्तक पर चर्चा कर बताया कि आज के विज्ञान व प्राचीन भारतीय ज्ञान में कितनी समानता है।
            पूज्य आचार्य श्री ने 1946 में स्व. आचार्य चक्रधर जोशी जी द्वारा स्थापित वेधशाला को भारतीय संस्कृति व ज्ञान का गौरव स्थल बताया जो सीमित साधनों में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। उन्होंने प्राचीन ज्ञान के इस केन्द्र को संरक्षित किये जाने की जरूरत बतायी। पूज्य आचार्य श्री के साथ पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद विभाग के डाॅ. राजेश मिश्रा, डाॅ. बी.के. जोशी, मंगल सिंह आदि भी थे।

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