मर्यादा के अनुरूप हो संत समाज का आचरण

मर्यादा के अनुरूप हो संत समाज का आचरण

साधु स्वाध्याय संगम : पतंजलि योगपीठ में कार्यक्रम, संत समाज भारत को विश्व गुरु के पद पर पहुंचाने की रखता है क्षमता: मोहन भागवत            – साधु ही बना सकते हैं हिंदुस्तान को विश्व गुरु : मोहन भागवत   हरिद्वार। पतंजलि में हुए साधु स्वाध्याय संगम में प्रातः कालीन सत्र में योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी को अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि साधु संत समाज देश को प्रगति के पथ पर ले जाने को संकल्पित…

साधु स्वाध्याय संगम : पतंजलि योगपीठ में कार्यक्रम, संत समाज भारत को विश्व गुरु के पद पर पहुंचाने की रखता है क्षमता: मोहन भागवत

           – साधु ही बना सकते हैं हिंदुस्तान को विश्व गुरु : मोहन भागवत

 

हरिद्वार। पतंजलि में हुए साधु स्वाध्याय संगम में प्रातः कालीन सत्र में योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी को अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि साधु संत समाज देश को प्रगति के पथ पर ले जाने को संकल्पित हंै। आयोजन में विभिन्न प्रांतों से आए साधु संत उपस्थित रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत जी पतंजलि योगपीठ, द्वितीय चरण में संघ के धर्म जागरण विभाग की ओर से आयोजित साधु स्वाध्याय संगम के आखिरी दिन के सत्र में मौजूद थे। कहा कि धर्म की रक्षा के लिए संत और साधु समाज का आचरण मर्यादा के अनुकूल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधु समाज ने हिन्दू धर्म, संस्कृति के उत्थान और राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन त्यागकर भगवा धारण किया है। साधु समाज भारत को विश्व गुरु के स्थान पर पहुंचाने की शक्ति रखता है। देश में संतों का सम्मान सर्वोपरि है।

इस संगम में संत समाज के आचरण और कार्य व्यवहार पर चर्चा में जोर दिया कि साधु या संत होना ही पर्याप्त नहीं है, आचरण की गरिमा का पालन होना चाहिए। तभी धर्म और धार्मिक संस्थाओं के प्रति लोगों की आस्था बनी रहेगी। साधु समाज को अपने आचरण से धर्म की रक्षा करना चाहिए। साधु स्वाध्याय संगम का मुख्य उद्देश्य संत समाज की भूमिका, समाज मंे फैली कुरीतियों को दूर कर हिन्दू समाज को एकजुट करना है। आज आवश्यकता है कि देश के अंदर साधु समाज समरसता को स्थापित करे। समरसता, समानता, सामाजिकता और सामाजिक ताने-बाने को आपस में बनाए रखने का भार संत व साधु समाज पर है। हिंदू धर्म में अनादि काल से पर्यावरण को पूजा जाता रहा है। विश्व में गलोबल वार्मिंग के कारण आज पर्यावरण खतरे में हैं। उस पर्यावरण की रक्षा देश के साधु संत ही कर सकते हैं। हम प्रकृति के पुजारी हैं, प्रकृति को माँ मानते हैं। तुलसी, वटवृक्ष, पीपल की पूजा हिन्दू समाज में किया जाता है। जल को जीवन के रूप में देखते हैं। आज गाय, गंगा, वृक्ष सबको भी संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिना के सिद्धांत पर आगे बढ़कर भारत को विश्व गुरु के पद पर स्थापित करना होगा। अध्यक्षीय भाषण में पूज्य स्वामी गोविन्ददेव गिरी जी महाराज ने साधु संतों, पतंजलि योगपीठ और योगर्षि स्वामी रामदेव का आभार जताया।

आखिरी सत्र में अखिल भारतीय धर्म जागरण के प्रमुख शरद ढ़ोले, संघ के विभाग प्रचारक शरद, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के मुख्य संयोजक डाॅ जयदीप आर्य जी, संयोजक राकेश कुमार, सह प्रमुख राजेन्द्र सिंह, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक बेरी, विभाग सम्पर्क प्रमुख योगेश कुमार, प्रदीप, योगेश आदि शामिल रहे।

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