औषधी शोध भ्रमण : पतंजलि के 120 सदस्यीय दल का भ्रमण

औषधी शोध भ्रमण : पतंजलि के 120 सदस्यीय दल का भ्रमण

चरेख डाण्डा में प्रस्तावित अभिलेखिकरण, हर्बेरियम व शोध कार्य के अग्रिम अवलोकन हेतु औषधी शोध भ्रमण : पतंजलि के 120 सदस्यीय दल का भ्रमण हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वावधान तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से महर्षि चरक की जन्मस्थली, चरेख डाण्डा में औषधीय पौधों के अभिलेखिकरण, हर्बेरियम तैयार करने व शोध संबंधी कार्य प्रस्तावित है। यह कार्य अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान परिसर में होना प्रस्तावित है। सम्पूर्ण कार्य के क्रियान्वयन व अग्रिम अवलोकन हेतु पतंजलि योगपीठ का 120 सदस्यीय दल चरेख डाण्डा पहुँचा। दल की अध्यक्षता स्वयं पतंजलि…

चरेख डाण्डा में प्रस्तावित अभिलेखिकरण, हर्बेरियम व शोध कार्य के अग्रिम अवलोकन हेतु

औषधी शोध भ्रमण : पतंजलि के 120 सदस्यीय दल का भ्रमण

हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वावधान तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से महर्षि चरक की जन्मस्थली, चरेख डाण्डा में औषधीय पौधों के अभिलेखिकरण, हर्बेरियम तैयार करने व शोध संबंधी कार्य प्रस्तावित है। यह कार्य अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान परिसर में होना प्रस्तावित है।
सम्पूर्ण कार्य के क्रियान्वयन व अग्रिम अवलोकन हेतु पतंजलि योगपीठ का 120 सदस्यीय दल चरेख डाण्डा पहुँचा। दल की अध्यक्षता स्वयं पतंजलि योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने की। उत्तराखंड की सुरम्य पहाड़ियों मंे स्थित महर्षि चरक की तपस्थली चरेख-डांडा में भ्रमण करते हुए पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि यह भूमि आयुर्वेद के महान् वैज्ञानिक महर्षि चरक की है तथा यहाँ आकर मुझे महर्षि चरक की सूक्ष्म उपस्थिति की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह स्थान बहुत ही दिव्य, भव्य व अनुपम है। यहाँ से आयुर्वेद का वृहद् व व्यापक कार्य पतंजलि योगपीठ के माध्यम से किया जाना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि की भावी योजना से इस स्थान पर जड़ी-बूटियों का रोपण, नर्सरी व ग्रीन हाऊस इत्यादि का निर्माण शामिल है।
पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों मंे आयुर्वेद का अकूत भंडार है। यहाँ पाई जाने वाली विभिन्न औषधियाँ व जड़ी-बूटियाँ अनेक रोगों को दूर करने में सक्षम हैं। आवश्यकता है इसकी पहचान, संरक्षण व इन्हें प्रसंस्कृत कर उपयोगी बनाने की। इससे न केवल आयुर्वेद को प्रामाणिक औषधि का दर्जा दिलाने में सहायता मिलेगी अपितु पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार का सृजन भी होगा। पूज्य आचार्य श्री ने बताया कि यहां औषधीय पौधों में विशेष तौर पर गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा इत्यादि का रोपण किया जाएगा।
सभी वैज्ञानिक आयुर्वेद के क्षेत्र में और भी ज्यादा काम करने के संकल्प के साथ ऊर्जा से परिपूर्ण होकर लौटे। दल में पूज्य आचार्य श्री महाराज के नेतृत्व में श्री जोशी जी, डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय, डाॅ. राजेश मिश्र, विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक शामिल थे।
आयुर्वेद के महान् वैज्ञानिक महर्षि चरक की भूमि पर पतंजलि के माध्यम से आयुर्वेद का होगा वृहद् व व्यापक कार्य: पूज्य आचार्य जी महाराज
पतंजलि अनुसंधान तथा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मिलकर करेंगे शोध सम्बंधी कार्य।

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