पतंजलि के माध्यम से किया जा रहा है सेवा कार्य
पतंजलि द्वारा योग-आयुर्वेद पर अनुसंधान से पूरा विश्व लाभान्वित
On
जीवन में जिस परम्परा का निर्वाहन हम कर रहें हैं योग, आयुर्वेद की उस परम्परा के बहुत बड़े-बड़े ऋषि-महर्षि, तपस्वी, संत, महात्मा हुए जिनके समक्ष हम अपनी कहीं दूर-दूर तक भी तुलना नहीं कर पाते। महर्षि दयानन्द जैसे विद्वान ने यह कहा था यदि ऋषियों के जमाने में मैं होता तो मेरी गणना सामान्य पंडितों में होती, हम तो उनके भी परम्परा के प्रति सामान्य व्यक्ति हैं। हम यह नहीं कहते कि हमने कोई बहुत कार्य किया या हम ऋषि-महर्षि हैं पर हम भगवान से सदैव प्रार्थना करते हैं कि चाहे हम ऋषि न बनें पर सच्चे ऋषिपथ के अनुगामी बन सकें, यही प्रभु से प्रार्थना है।
प्राचीन ग्रंथों तथा आधुनिक पैरामीटर्स के आधार पर पतंजलि द्वारा आयुर्वेदपरक नवीन अनुसंधान- परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज के नेतृत्व में हमने आयुर्वेद के ग्रंथों पर अनुसंधान शुरू किया। जब पूरी दुनिया के पेड़-पौधों की जड़ी बूटियों की बात आती है तो आयुर्वेद में मात्र लगभग 700 पौधों का ही वर्णन है। उनमें भी हमारे सारे निघंटुओं की ऐसी अवस्था थी कि लोग कहते थे कि कुछ आप्राप्त है, कुछ संदिग्ध हैं। पहली बार पतंजलि ने कहा कि औषधियां संग्दिध नहीं होती हैं, संदिग्ध तो हमारा ज्ञान होता है। अपने नाॅलेज में सुधार करो, जड़ी-बूटियों को दोष मत दो। पूज्य स्वामी जी महाराज के नेतृत्व में हमने जिन पौधों पर अनुसंधान किया उनमें लगभग 60 हजार तरह के पौधे हैं। यानी कि लगभग दुनिया के 18 प्रतिशत पौधों को औषधीय मान्यता दिलाने का काम पतंजलि के द्वारा प्रथम बार किया गया, जो कार्य पूरी दुनिया में कहीं नहीं हुआ। उसके लिए हमारे पास अभी तक लगभग 6.30 लाख से ज्यादा रेफरेंस हैं।
इसके अतिरिक्त यदि हम नाम और वर्नाकुलर नेम की बात करें तो 22 लाख से ज्यादा नामों के माध्यम से उसको संग्रहित करने का काम पतंजलि के माध्यम से किया गया है। लगभग 70 वाल्यूम का कार्य पूरा हो चुका है और बाकि हम अभी और 39 वाॅल्यूम पर काम कर रहे हैं। यह जो लगभग सवा लाख से ज्यादा पन्नों का दस्तावेजीकरण है, इसमें पतंजलि का अनुसंधान निहित है।
यह तो एक तरह से वल्र्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया की बात हुई। इसमें आयुर्वेद के लिए भी तो कुछ विशेष होना चाहिए। हमने देखा कि चाइनीस लोग क्लेम करते हैं कि चाइनीस मेडिकल सिस्टम में लगभग साढे ग्यारह हजार पेड़-पौधों का वर्णन है। तो हमने अपने विद्वानों की टीम के माध्यम से कार्य शुरू किया, और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि हमने संस्कृत में लगभग 21 हजार पौधों की लिस्ट तैयार करके शास्त्र रचना का कार्य पूरा किया। जैसे आयुर्वेद के ग्रंथों में वर्णन है, उसी तरह से नवीन श्लोक बना करके लिखने का कार्य भी एक बड़े स्तर पर हो चुका है। जिस दिन यह ग्रंथ तैयार हो जाएगा उस दिन विश्व वनस्पति जगत में बड़ी क्रान्ति होगी। इस संहिता के माध्यम से लगभग सवा दो लाख श्लोकों का ग्रंथ तैयार होगा। इससे भारतीय सम्पदा का विश्व में सम्मान बढ़ेगा।
हमारे पारम्परिक ज्ञान को विदेशी नहीं करा पाएंगे पेटेंट- कुछ समय पहले आपने सुना होगा कि भारत की नीम, भारत का चावल, भारत की हल्दी आदि को विश्व के दूसरे लोगों ने पेटेंट करने का एक दुस्साहसिक प्रयास किया। हालांकि वह इसमें सफल नहीं हो पाए। ऐसे पेटेंट को रोकने के लिए हमे आगे आना होगा और प्रयास करना होगा कि भविष्य में ऐसी स्थितियां न बन पाएँ। जब इस टेªडिशनल नाॅलेज का रिसर्च आधारित डाॅक्यूमेंटेशन डिजिटल नाॅलेज के रूप में हो जाएगा, तो कोई अन्य इनका पेटेंट नहीं ले सकेगा।
पतंजलि के माध्यम से जो लगभग 21 हजार पौधों पर कार्य कर रहे हैं, वह सदा-सदा के लिए इस देश के पेटेंट का काम करेगा। आपको बता दें कि एक पेटेंट को इंटरनेशनल पेटेंट करने में लगभग पौने तीन करोड़ रुपए खर्च होते हैं। पतंजलि के द्वारा किया गया यह कार्य सदियों के लिए होगा, आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए होगा। दुनिया के लोग हमारे पेड़-पौधों वनस्पतियों को पेटेंट नहीं करा पाएंगे, परन्तु जो 21 हजार पौधे जो हम शास्त्रों में लिखने का काम कर रहे हैं, उनमें से 15 हजार पौधे तो विदेशी हैं। तो अब विदेशियों को भी अपने पेड़-पौधों का पेटेंट लेने के लिए हमसे लोहे के चने चबाने होंगे।
कोरोना वायरस को सर्वप्रथम पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने डिकोड किया- यह इतना बड़ा कार्य है कि जैसे कोरोना काल में जिस समय चारों ओर त्राहिमाम मचा था, लोगों के दिलों में दहशत थी और कोई भी चिकित्सा पद्धति काम नहीं कर रही थी, कोरोनो वायरस पर दवाओं का कितना बड़ा षड्यंत्र किया गया। तब परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने मुझसे कहा कि यह बताओं कोरोना वायरस पर कौन-सा पौधा काम करेगा? हम तुरन्त अपनी पतंजलि अनुसंधान संस्थान की टीम के साथ लग गए और कोरोना वायरस को सबसे पहले हमने प्लांट स्टिमुलेशन करके डिकोड किया। मैंने पूज्य स्वामी जी महाराज से कहा कि अनुसंधान के आधार पर सबसे पहला रिजल्ट तो अश्वगंधा में दिखाई है। सबसे पहले आयुर्वेद वालों ने कहा कि इस तरह के वायरस प्राॅब्लम को, बैक्टीरियल प्राॅब्लम को खत्म करने का तो अश्वगंधा में कुछ है ही नहीं, तो उन लोगों ने निषेध किया। आयुष मंत्रालय ने भी कोरोना वायरस के प्रोटोकाॅल में अश्वगंधा को प्राथतिमकता के रूप में रखा और उसके पीछे यदि कोई संस्था थी तो वह पतंजलि थी।
योग का वैश्विक स्वीकार्यता- पतंजलि की योग-आयुर्वेद परक गतिविधियों का लाभ प्रत्यक्ष रूप में, परोक्ष रूप से, सीधे तौर पर पूरे विश्व में सम्पूर्ण मानवता को मिला है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज के संकल्प तथा माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रयास से पूरे विश्व में इंटरनेशनल योगा-डे मनाया जा रहा है।
पतंजलि ने आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित किया- आयुर्वेद के विषय में लोग सोचते थे कि आयुर्वेद का अर्थ दवा की पुड़िया, पुराने से वैद्य, टूटा हुआ घर और छोटे से कमरे में टूटी हुई कुर्सियां है। आयुर्वेद आज उससे बाहर निकल कर व्यापक रूप में सामने आया है। आज आयुर्वेद की बड़ी-बड़ी संस्थाएं खुल रही हैं। जड़ी-बूटियों पर गहन अनुसंधान किया जा रहा है। उसके मूल में कहीं न कहीं पतंजलि के माध्यम से सेवा करने का हमको मौका मिला है, उसके लिए हमें बड़ी प्रसन्नता है। चाहे प्राचीन शास्त्रों को संरक्षित कर उनकी पुनः रचना की बात हो या आयुर्वेद पर गहन अनुसंधान का विषय, सबसे पहले पतंजलि का नाम आता हैं आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में पहली बार दुनिया मंे स्थापित करने का कार्य भी पतंजलि ने किया है। यह अनुसंधान का कार्य बहुत आगे पहुंच चुका है क्योंकि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में आयुर्वेदिक औषधियों को भी आधुनिक पैरामीटर्स के अनुसार डोज डिपेंडेंट मैनर पर मापा जाता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कितनी औषधि कितनी मात्रा में देने पर काम करती है क्योंकि प्राचीनकाल में हमारे लोगों की शारीरिक क्षमता अलग थी इसलिए उस समय की अवस्था के हिसाब से औषधियों की विविध रोगों पर व्यवस्थाएं अलग थी। इसी तरह से लोग कहते हैं कि आयुर्वेद में निदान (डायग्नोसिस) के लिए कोई नवीन अनुसंधान नहीं है। पतंजलि के माध्यम से हमने नूतन नेदान ग्रंथ की रचना की है जिसमें लगभग 123 ऐसी बीमारियां हैं जिनका आयुर्वेद आधारित प्राचीन ग्रंथों में वर्णन नहीं है। उसमें भी हमने नये रोगों को समाहित किया है।
Related Posts
Latest News
27 Feb 2025 16:22:44
ऋषिकेश (उत्तराखंड)। पर्यटन विभाग व गढ़वाल मंडल विकास निगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतर्राराष्ट्रीय योग महोत्सव का आज