सम्मेलन : पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलाॅजी पर पुनर्विचार’ का आयोजन
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हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय स्थित सभागार में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलाॅजी पर पुनर्विचार’ का शुभारम्भ किया गया जिसमें देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों के चिकित्सकों व वैज्ञानिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हमारी किसी भी अन्य पद्धति से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। उन्होंने कहा कि हम योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, इंडियन ट्रेडिशनल सिस्टम व सनातन जीवन पद्धति पर विश्वास करते हैं तथा इनको आत्मसात करके विभिन्न रोगों पर विजय प्राप्त करने वाले लगभग 5000 जीवंत उदाहरण हमेशा मेरे पास रहते हैं। उन्होंने कहा कि एक मिथक चल रहा था कि बी.पी., डायबिटीज, सोराइसिस, अर्थराइटिस आदि रोगों के लिए आपको आजीवन दवा खानी पड़ेगी। हमने इतिहास में पहली बार इस मिथक को गलत साबित करके दिखाया है। हम रोगमुक्त व दवामुक्त बनाते हैं और आॅपरेशन की 90 प्रतिशत संभावना को टाल सकते हैं, ये शक्ति है योग, आयुर्वेद व हमारे पूर्वजों के विज्ञान की। हम अभी फाइटोकैमिकल्स अर्थात् औषधियों के सूक्ष्म घटक पर काम कर रहे हैं। हमने औषधियों व वनस्पतियों के घनसत्वों पर शोध किया, जो पूरी दुनिया से नहीं हो पाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन व माडर्न मैडिकल सिस्टम नहीं कर पाया, वह काम पतंजलि ने करके दिखाया है। आयुर्वेद के माध्यम से क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल करके एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का दर्जा दिलाने का कार्य पतंजलि कर रहा है। इस अवसर पर पतंजलि की इंटिग्रेटेड चिकित्सा पद्धति के द्वारा ब्लड कैंसर, सोराइसिस, अर्थराइटिस व फैटी लिवर, टाइप-1 डायबिटिज आदि विभिन्न रोगों को परास्त करने वाले रोगियों को जीवंत उदाहरण के तौर पर मंच पर प्रस्तुत किया गया।
परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि लगभग 8 देशों से हमारे सम्मानित वैज्ञानिकगण इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए पधारे हैं। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की बात की जाती है। हमने योग व आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन पर आधारित चिकित्सा विधा के रूप में स्थापित करने का बड़ा कार्य किया है। यह तीन दिन का आयोजन उसी परम्परा, उसी कार्य को विश्व के महान वैज्ञानिकों के सम्मुख रखने का और उनसे कुछ नया सीखने का अवसर है। यह कार्य किसी संस्था या किसी व्यक्ति का नहीं है, यह तो मानवता का कार्य है। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में योग की चर्चा होती है या उस चर्चा को वैश्विक बनाने का काम कहीं से होता है तो वह पतंजलि संस्थान है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने प्रत्यक्ष रूप से लगभग 10 करोड़ तथा परोक्ष रूप से 80 से 100 करोड़ की जनसंख्या को योग के साथ जोड़ा है। विश्व की लगभग 10 प्रतिशत आबादी पर पूज्य स्वामी जी महाराज का प्रभाव है। आयुर्वेद की बात करें तो लगभग 1 करोड़ रोगियों का डाॅटा इ.एम.आर. सिस्टम में हमारे पास उपलब्ध है। दुनिया के 70 प्रतिशत देश के रोगी पतंजलि में पहुँच चुके हैं। आबादी की दृष्टि से बात करें तो कोई छोटा-मोटा देश होगा जो पतंजलि की चिकित्सा सेवाओं से वंचित रहा होगा। उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम जो कर रहे हैं उसे हम और बेहतर कैसे कर सकते हैं, यह आप यहाँ से सीख सकते हैं।
कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान का परिचय दिया तथा यहाँ संचालित शोध गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ड्रग डिस्कवरी और डेवलपमेंट का साइकल किस प्रकार आयुर्वेदिक औषधियों में सफलता के साथ सम्पादित किया जा रहा है। पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की विभागाध्यक्षा डाॅ. वेदप्रिया आर्या ने पतंजलि हर्बल अनुसंधान का परिचय दिया। आइ.एस.ई. फाइटोमेडिसिन प्रोग्राम फैकल्टी ऑफ़ वेटेनिरनी मेडिसिन, प्रिटोरिआ, साउथ अफ्रिका के प्रो. जैकब्स निकोलस एलोफ ने ‘यौगिकों और अर्क के व्यावसायीकरण के लिए स्वदेशी ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बीच एक सहभागिता की आवश्यकता’ विषय पर उद्बोधन दिया।
उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डाॅ.) सुनील कुमार जोशी ने आयुर्वेद और रोग मुक्त समाज के लिए आयुर्वेद की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया। ढाका विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मेसी के प्रो. सितेश सी. बचार ने आनलाइन माध्यम से ‘प्राकृतिक उत्पादों का संश्लेषण औषधि विकास के लिए एक दृष्टिकोण’ विषय पर उद्बोधन दिया। काॅलेज ऑफ़ चाइनीज मेडिसिन, चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी, ताइवान के डिपार्टमेंट ऑफ़ चाइनीज फार्मास्युटिकल्स साइंस एंड चाइनीज मेडिसिन रिसोर्सेज के प्रोफेसर ऑफ़ फार्माकोग्नाॅसी प्रो. युआन श्युन चांग ने ‘क्वालिटी कन्ट्रोल आॅफ टीसीएम हब्र्स एण्ड हर्बल प्रिपरेशन्स इन ताइवान’ विषय पर चर्चा की। कार्यक्रम में गणमान्य अतिथिगणों की उपस्थिति से कार्यक्रम को सफल बनाया गया।
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