‘हर घर तिरंगा’ अभियान में पतंजलि की सहभागिता
सेना की मदद से देश के सीमावर्ती भागों तक पहुंचाया तिरंगा.......
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हरिद्वार। पतंजलि परिवार राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत है। पतंजलि का मूल मंत्र राष्ट्रदेवो भवः है। इसी संकल्प के साथ माननीय प्रधाानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में 13 अगस्त से 15 अगस्त तक संचालित ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में पतंजलि भी बढ़-चढ़ कर सहभागिता दर्ज करा रहा है। इसी क्रम में पतंजलि परिवार की ओर से बड़ी पहल की गई है जिसमें पतंजलि द्वारा सेना की मदद से देश के सीमावर्ती भागों तक लाखों की संख्या में तिरंगा पहुंचाने का कार्य किया गया।
इस अभियान को प्रचारित-प्रसारित करने तथा राष्ट्रवाद की भावना को देश की सीमा तक पहुँचाने के लिए पतंजलि ने सीमावर्ती क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा तिरंगा ध्वज पहुँचाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए पतंजलि ने देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात तथा देश सेवा में अहर्निश समर्पित वीर सैनिकों को माध्यम बनाया है। पतंजलि द्वारा इन सैनिकों की सहायता से देश के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों तक तिरंगा पहुंचाने के लिए लाखों की संख्या में तिरंगा वितरण का कार्यक्रम किया गया जिसमें हरिद्वार से भारत तिब्बत सुरक्षा बल (आईटीबीपी) के डीआईजी श्री मनोज कुमार सिंह जी को, सीडीओ हरिद्वार श्री प्रतीक जैन जी तथा दिल्ली में सशस्त्र सीमा बल (एसएससी) के कमाण्डेंट श्री दलबीर सिंह डडवाल जी के माध्यम से इस अभियान को हर घर पहुंचाने में पतंजलि ने सहभागिता की।
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इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पतंजलि के सेवाकार्यों में राष्ट्रसेवा निहित है। उन्होंने कहा कि मेरे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है तथा राष्ट्र-धर्म सबसे बड़ा धर्म है। हमारे प्रत्येक अच्छे या बुरे आचरण से हमारा पूरा राष्ट्र प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि इस पुनीत अवसर पर प्रत्येक भारतीय यह संकल्प ले कि जब तक मेरी नाड़ियों में रक्त की एक बूंद भी शेष है और देह में प्राण प्रवाहमान हैं, मैं देश की सेवा करता करुँगा। कार्यक्रम में पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि राष्ट्र मेरा सर्वस्व है। इदं राष्ट्राय इदन्न मम। मेरा तन-मन-धन व जीवन राष्ट्रहित में समर्पित रहेगा। राष्ट्रवाद के सिद्धान्त, अध्यात्मवाद व आदर्शवाद की मर्यादाएं मेरे वैयक्तिक राष्ट्रीय जीवन के आदर्श हैं। हमें देशवासियों के हृदय में देश के प्रति सेवा का भाव जागृत करना है। उन्होंने कहा कि हिंसा, क्रोध व प्रतिशोध जैसे अपवित्र विचारों से जब व्यक्ति को हिंसक, अपराधी बनाया जा सकता है तो पवित्र विचारों से एक व्यक्ति को राष्ट्रवादी, अध्यात्मवादी, मानवतावादी व प्रगतिवादी भी बनाया जा सकता है। कार्यक्रम में आदरणीय डाॅ. यशदेव शास्त्री जी, बहन अंशुल, बहन पारूल, श्री पंकज जी, पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ अधिकारीगण और पतंजलि के कर्मयोगी भाई-बहन उपस्थित रहे।
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