योग दिवस: 21 जून में हुआ विष्व ‘योगमय’....
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बौधिक दिवालियापन के शिकार तथाकथित बुद्धिजीवियों ने एक प्रायोजित तरीके से सनातन संस्ड्डति की आलोचना व हिन्दुत्व से भिन्न धार्मिक विचारधाराओं को छद्म रूप से समर्थन देकर संवर्धन करने का काम किया है। हम संसार को मूल प्राड्डति व मूल संस्ड्डति से जोड़ेंगे और योग विश्व एकात्मता का सबसे बड़ा माध्यम व साधन बनेगा।
पतंजलि योगपीठ संस्था व संगठन का अन्तिम लक्ष्य रहा है योगमय जीवन, योगमय परिवार, समाज राष्ट्र व योगमय विश्व का निर्माण करके रोगमुक्त, नशामुक्त, हिंसादि अमानवीय दोषों व समस्त दुःख दारिद्राय से मुक्त मानव समाज का निर्माण भारत के 75 आईकोनिक स्थानों, 500 जिलों, हजारों तहसीलों व लाखों गांवों में एक साथ पतंजलि की ओर से 21 जून को ऐतिहासिक योग महोत्सवों का आयोजन किया गया। इन योग कार्यक्रमों के कुछ बड़े निष्कर्ष हैं और इस दिशा में हमें दीर्घकालिक सेवा, संघर्ष, चुनौतियों व उपलब्धियों की ओर संकेत करते हैं-
1. देश व दुनियां के अधिकांश लोगों में कोरोना के बाद योगायुर्वेद नेचुरोपैथी व सनातन मूल्यों में अत्यन्त श्रद्धा व विश्वास का भाव जमा है। लोग अब यह अनुभव करने लगे हैं कि यही एकमात्र स्वस्थ सुखी, समृद्ध, सफल व खुशहाल जीवन जीने का मार्ग है।
2. मजहबी उन्माद, राजनैतिक व वैचारिक उन्माद या कहें सांस्कृतिक आतंकवाद का समाधान सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व अध्यात्मवाद ही है क्योंकि बौद्धिक दिवालियापन के शिकार तथाकथित बुद्धिजीवियों ने एक प्रायोजित तरीके से सनातन संस्कृति की आलोचना व हिन्दुत्व से भिन्न धार्मिक विचारधाराओं को छद्म रूप से समर्थन देकर संवर्धन करने का काम किया है। हम संसार को मूल प्रकृति व मूल संस्कृति से जोड़ेंगे और योग विश्व एकात्म का सबसे बड़ा माध्यम व साधन बनेगा।
3. सनातन वैदिक संस्कृति को जीने वाले कुछ वीर, पराक्रमी, ओजस्वी आत्माएं यदि अपना सर्वस्व समर्पित करके पूर्ण पुरुषार्थ व पूर्ण पराक्रम से सेवा देंगे तो सिर तन से जुदा, गजवा-ए-हिन्द, भारत सहित पूरे विश्व को इस्लाम व शरिया की शरण में लाने के दिवास्वप्न कभी पूरे नहीं होंगे, नहीं तो जैसे चन्द मुस्लिम क्रूर शासकों ने देश में राज किया और दुनियां के 70 देशों तक पहुंच गये, यह विश्व का संकट बना रहेगा।
4. सनातन संस्कृति का प्रामाणिक अभ्यास प्रत्येक घर में हो, इसकी संगठित रूप से जिम्मेदारी पतंजलि लेगा। ईसाई मिशनरी, ईसाईयत तथा मुल्ला-मौलवी, उलेमा, चिश्ती आदि इस्लाम को घर-घर तक पहुंचाने व उसमें 100 प्रतिशत कट्टरता और अन्ततः एक अलग राष्ट्र की भावना और अपने से भिन्न आस्था वालों के प्रति नफरत का भाव भरकर पाप करने में लगे हैं। यह एक मजहबी अपराध व आतंकवाद का नया अवतार है। सनातन मूल्यों, सिद्धांतों व आदर्शों के अनुरूप जीने वाले दुनियां के प्रत्यक्ष रूप से 150 करोड़ व परोक्ष रूप से 300 करोड़ से अधिक लोगों को हम योग, अध्यात्म व सात्विक जीवन पद्धति से जोड़ेंगे, यह हमारा बहुत बड़ा तात्कालिक व दीर्घकालिक लक्ष्य है।
5. योगावुर्वेद व स्वदेशी क्रान्ति के साथ अब शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि वैलनेस को नई दिशा देने का काम करंगे। इस सदी के इस सबसे बड़े विश्वव्यापी आंदोलन से जुड़ने के लिए हम संसार की सभी श्रेष्ठ आत्माओं का आह्वान करते हैं।
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