दुनिया को विकृति से प्रकृति की ओर लौठना होगा: स्वामी जी
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन : पतंजलि योगपीठ में चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
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हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘पारंपरिक भारतीय चिकित्सा का आधुनिकीकरणः लोक स्वास्थ्य एवं औद्योगिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का पहला दिन कृषि क्रांति और आत्मनिर्भर भारत को समर्पित रहा। उद्घाटन सत्र में योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि जैविक खेती आज वैश्विक मांग बनती जा रही है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से धरती कुपोषित हो गई है, इससे इंसान का कुपोषित होना स्वाभाविक है। अगले 20 से 25 वर्षों में भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व विकृति से प्रकृति और सनातन संस्कृति की ओर लौटेगा। जीरों बजट और पशुधन पर आधारित खेती वैश्विक मांग होगी।
परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा दुनिया की मांग है। योग और आयुर्वेद असाध्य बीमारियों के इलाज में कारगर है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान शैशव काल में है। इसका शीर्षासन होने वाला है। उन्होंने दावा किया कि दुनिया में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण पतंजलि कर रहा है। आने वाले समय में गम्भीर हृदय रोगियों को भी पतंजलि में रखकर पूरी तरह स्वस्थ कर भेजा जाएगा। उच्चस्तरीय और साक्ष्य आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पतंजलि का अहम योगदान है, जिसका मार्गदर्शन पूज्य आचार्य श्री स्वयं करते हैं। उन्होंने कहा कि पूज्य आचार्य श्री के निर्देशन में पांच लाख से अधिक श्लोकों की रचना और एक लाख से अधिक पृष्ठ वाले विश्व भेषज संहिता का निर्माण किया गया। पतंजलि विवि के कुलपति और अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि पतंजलि के विभिन्न आयामों और स्वरूप को पूरा विश्व अनुभव करता है। आयोजन समिति की अध्यक्ष और पीआरआई की वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. वेदप्रिया आर्या जी ने बताया कि इस सम्मेलन में आनलाइन और आॅफलाइन के माध्यम से लगभग 21 देशों के हजारों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर आयुर्वेद काॅलेज, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि अनुसंधान संस्थान सहित भारत के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर, वैज्ञानिक, शोधार्थी और विद्यार्थियों ने मौखिक रूप से और पोस्टर के माध्यम से अपने अनुसंधान को भी प्रस्तुत किया। सम्मेलन में शोधसार और मेडिशिनल प्लांट जर्नल के विशेषांक का विमोचन भी हुआ। आयुर्वेद से संबंधित 75 मे से नौ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। चार अगस्त को सभी पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण होगा।
ऋषि क्षेत्र में सुधार को नवीन तकनीकी पर की चर्चा- सम्मेलन के पहले दिन के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेशचन्द ने कृषि के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए नवीन तकनीकी पर चर्चा की। सोसाइटी फार कंजर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट आॅफ मेडिशिनल प्लांट के अध्यक्ष डाॅ.ए.के. भटनागर ने बताया कि पतंजलि ने स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में जो कार्य किए हैं, वह अनुसंधान आधारित रहे हैं, डाॅ.वेदप्रिया आर्या जी ने कृषि विकास तथा ई-आत्मनिर्भर भारत पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं नावार्ड के प्रो.भास्कर पंत, कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा, प्रो.केआर.धीमान, डाॅ. अजीत सिंह नैन ने भी अपने अनुभव प्रतिभागियों से साझा किए। डाॅ.वीके. कटियार, स्वामी परमार्थदेव, डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय के अलावा संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।
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