मानस गुरुकुल:  आत्मनिर्भर बनकर देवत्व और ऋशित्व को प्राप्त  किया जा  सकता है: पूज्य स्वामी जी

पूज्य मोरारी बापू की कथा सुनने से भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा : श्री धामी जी

मानस गुरुकुल:  आत्मनिर्भर बनकर देवत्व और ऋशित्व को प्राप्त  किया जा  सकता है: पूज्य स्वामी जी

   हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में पूज्य मोरारी बापू की मानस गुरुकुलकथा के छठवें दिन मुख्य अतिथि के रूप में मा.मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी जी का आगमन हुआ। विवि परिसर पहुँचकर मुख्यमंत्री महोदय ने पूज्य बापू तथा पूज्य स्वामी जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त कर कथाश्रवण किया। श्री धामी जी ने कहा कि पूज्य बापू की कथा सुनना अद्भुत अनुभव है। आपकी कथा में सभी वर्गों का समावेश रहता है। उन्होंने उपस्थित साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूज्य बापू की कथा सुनने से आपको बहुत कुछ मिलेगा तथा भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
       इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि यह जीवन की पूर्णता की यात्र है और पूर्णता जिन आध्यात्मिक तत्वों से मिलती है- वह ब्रह्मविद्या, योगविद्या, वेदविद्या, अध्यात्मविद्या हम मानस गुरुकुल का आश्रय लेकर पूज्य बापू जी के पावन सन्निधि में उनके आशीषों व अनुग्रह तले हम पा रहे हैं। जीवन की पूर्णता, दिव्यता, अनंतता का प्रारंभ गुरुकृपा के अनुग्रह तले होता है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कुछ लोगों में दुनिया में भेद पैदा कर दिया। उन्होंने कहा कि आज धर्म, अध्यात्म, वेद, उपनिषद को लेकर भ्रम पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि तुम आत्मनिर्भर हो। आत्मनिर्भर बनकर तुम पूर्ण स्वस्थ, पूर्ण विवेकी, पूर्ण श्रद्धावान, पूर्ण पुरुषार्थी, पूर्ण प्रज्ञावान, पूर्ण बलवान होकर रह सकते हो। देवत्व और ऋषित्व को पा सकते हो, यह वेद का उद्घोष है।
       हमने पतंजलि गुरुकुलम् में बच्चों को बताया कि तुम्हारे भीतर अपरिमित ज्ञान है। हमारी संस्कृति अनन्ता की है। इसमें अनन्त ज्ञान, अनन्त संवेदना, अनन्त सामथ्र्य, अनंत चेतना, अनंत करुणा है। पतंजलि गुरुकुलम् में छोटे-छोटे बच्चों ने सूत्र, तैत्तिरीयोपनिषद्, 12-12 अध्याय, 5 दर्शन, धातुपाठ जिनमें 2000 धातुओं का समावेश है, केनोपनिषद कण्ठस्थ किए हैं। शास्त्रविद्या तो इन्होंने प्राप्त कर ली, अब हम इन्हें विश्वविजेता बनने के लिए तैयार कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से पूरे देश में शिक्षा प्रदान करना, 1 लाख विद्यार्थियों के लिए ऐसी ग्लोबल यूनिवर्सिटी बनाना जिसमें सभी विषयों का समावेश तो हो किन्तु उनके मूल में संस्कृत व वेद हों। अब भारत से पूरी दुनिया में योग, वेद, मानस व तुलसी का ज्ञान जाएगा। सारी दुनिया को समझ आ रहा है कि यह सब दुनिया योगमय व राममय है। इसी में सबका कल्याण है। छठवें दिन कथा में पूज्य बापू ने कहा कि इस पावन योगपीठ की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष चेतना को मेरा प्रणाम जहाँ पूज्य स्वामी जी की छाया तले प्रतिभाओं को गढ़ा जा रहा है। प्रतिमा तो किसी भी धातु से निर्मित हो सकती है किन्तु बिना प्रतिभा के प्रतिमा का कोई अर्थ नहीं। उन्होंने कहा कि इसी प्रतिभा को प्राप्त करने के लिए प्रभु श्रीराम गुरुकुल गए। त्रेता युग की वही गुरुकुल विद्या आज हमें पतंजलि योगपीठ में देखने को मिल रही है। आप और हम इस ऐतिहासिक कालखण्ड के साक्षी बन रहे हैं। पूज्य बापू ने कहा कि यदि गुरुकुलीय प्रणाली विकसित नहीं हुई तो प्रतिमाएँ तो बनेंगी परन्तु प्रतिभाओं में न्यूनता आएगी। एक अन्य प्रसंग में पूज्य बापू ने कहा कि मन है तब तक मोह-शोक है, प्राण है तब तक भूख-प्यास है तथा जब तक देह है तब तक जन्म व मृत्यु हैं। अतः हमें मन को साधना सीखना चाहिए। संत दर्शन से पाप मिटते हैं और संत सेवा से नया प्रारब्ध बनता है। हमें साधु सेवा करके अपना भविष्य या प्रारब्ध बनाना है।
        मुख्यमंत्री महोदय ने आरती कर छठें दिन का समापन किया। पूज्य आचार्य जी महाराज, पूज्य चिदानन्द मुनि जी महाराज, पूज्य सतुआ बाबा जी, डॉ. यशदेव शास्त्री जी व बहन ऋतम्भरा जी, स्वामी यतीश्वरानंद, रानीपुर विधायक श्री आदेश चैहान, रूड़की विधायक श्री प्रदीप बत्रा, साध्वी देवप्रिया जी, प्रो. महावीर अग्रवाल, बहन प्रवीण पूनीया, डाॅ. निर्विकार, श्री एन.सी. शर्मा सपत्नीक, बहन अंशुल, बहन पारूल, स्वामी परमार्थ देव, भाई राकेश कुमार, डाॅ. जयदीप आर्य, प्रो. अनिल यादव, प्रो. के.एन.एस. यादव, प्रो. वी.के. कटियार व श्री वी.सी. पाण्डेय के साथ-साथ पतंजलि विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षकगण, कर्मचारी तथा छात्र-छात्राओं, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनों व विभिन्न प्रांतों से पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण का लाभ लिया।

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