पतंजलि ने अपना 27वाँ स्थापना दिवस उत्साह पूर्वक मनाया
स्थापना दिवसः पतंजलि का सेवा अनुष्ठान आने वाले 100-150 सालों के भारत की आधारशिला रख रहा है: पूज्य स्वामी जी महाराज
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हरिद्वार। 5 जनवरी, 1995 को शून्य से प्रारम्भ हुई पतंजलि की यात्रा सेवा, साधना, संघर्ष से सृजन कर शिखर पर आरूढ़ हो चुकी है। पतंजलि परिवार द्वारा योग, आयुर्वेद स्वदेशी, वैदिक संस्कृति की निष्काम सेवा, साधना एवं संघर्ष के आज 27 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि की इस गौरवपूर्ण यात्रा में आपकी भागीदारी, करोड़ों देशवासियों का स्नेह व गुरुजनों का आशीष शामिल है। पतंजलि बिना किसी मजहबी उन्माद के समान भाव से समाज व राष्ट्र की सेवा कर रहा है।
पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि ने सेवा के इस लम्बे कालखण्ड में अनेकों झंझावातों व चुनौतियों का सामना करते हुए योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, वैलनेस, स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, जैविक कृषि, तकनीकि, अनुसंधान, गौ-संरक्षण आदि विविध क्षेत्रों में देश में ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर अनेकों कीर्तिमान गढ़े हैं। सभी क्षेत्रों में पतंजलि युगान्तकारी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसी एक संस्थान द्वारा अनेक विषयों में वैश्विक कोटि का होना गौरव की बात है। पतंजलि की योग यात्रा के विषय में बताते हुए पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि आज आधी आबादी योग से जुड़ चुकी है। हमारा लक्ष्य है कि सभी योग से जुड़कर आत्मनिर्भर बनें। आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी प्रेरणा पतंजलि योगपीठ है। पतंजलि योगपीठ वैश्विक स्तर पर 135 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करता है तथा पतंजलि का यह अनुष्ठान आने वाले 100-150 सालों के भारत की आधारशिला रख रहा है।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि पतंजलि के 27वें स्थापना दिवस के अवसर पर आपको अवगत कराते हुए प्रसन्नता हो रही है कि उत्तराखण्ड राज्य देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ प्रदेश की धामी सरकार ने भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम को कैबिनेट में पास कराकर उस पर मोहर लगा दी है। देश के अन्य राज्यों में भी इसे लागू कराने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न स्थानों पर कार्यरत लगभग 2000 अध्यापक-अध्यापिकाओं व 300 प्रोफेसरों ने दिन-रात एक करके इस पाठ्यक्रम का सृजन किया है। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले ने इण्डियन एजूकेशन एक्ट बनाकर हमारी आध्यात्म आधारित शिक्षा पद्धति को ध्वस्त किया था। भारतीय शिक्षा बोर्ड उसी आध्यात्मिक शिक्षा को पुनःस्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है। अब इस विदेशी शिक्षा, चिकित्सा, अपसंस्कृति तथा विदेशी उपनिवेशवाद से भारत को मुक्ति दिलाकर, आर्थिक व सांस्कृतिक गुलामी से भारत का आजादी दिलाने की दिशा में और प्रखरता के साथ हम आगे बढ़ेंगे। इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन व सेवानिवृत्त आई.ए.एस. श्री एन.पी. सिंह ने कहा कि पतंजलि मात्र एक संस्था नहीं है अपितु एक पूरी संस्कृति है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड पूज्य स्वामी जी महाराज की संकल्पना है जो भावी भारत की आधारशिला रखेगा। कार्यक्रम में विख्यात गणितज्ञ प्रो. कृष्णमूर्ति राम सुब्रमण्यम् जी को पतंजलि शिक्षा गौरव सम्मानम् से विभूषित किया गया। उनको यह सम्मान भारतीय शिक्षा बोर्ड के कक्षा-1 से कक्षा-12 तक के गणित पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए प्रदान किया गया। पतंजलि शिक्षा गौरव सम्मान पाकर प्रो. कृष्णमूर्ति ने पूज्य स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य जी महाराज को धन्यवाद ज्ञापित किया। विख्यात कवि श्री हरिओम पंवार, श्री अर्जुन सिसोदिया तथा श्री मनवीर जी ने कार्यक्रम में उपस्थित महानुभावों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में आचार्या साध्वी देवप्रिया जी, डाॅ. जयदीप आर्य जी, भाई राकेश कुमार जी, स्वामी परमार्थदेव, प्रो.महावीर अग्रवाल, श्री ललित मोहन, बहन अंशुल, बहन पारूल, प्रो.के.एन.एस. यादव, डाॅ. निर्विकार, श्री विमल चन्द्र पांडे, प्रो.विनय कटियार, डाॅ.अनुराग वाष्र्णेय, संन्यासीगण, ब्रह्मचारीगण, समस्त सेवाव्रती भाई-बहन, प्राध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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