शाश्वत प्रज्ञा
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वर्ष 2021 का संकल्प
दुर्भाग्य से हमारा कलेन्डर विदेशी, शिक्षा, चिकित्सा, खेती, भजन, भोजन, वस्त्र, वेशभूषा, मनोरंजन, यहाँ तक कि जीवन पद्धति में विदेशीपना गौरवान्वित हो रहा है। इस विदेशी नववर्ष पर हम कुछ ऐसे बड़े संकल्प लें कि आने वाले दो-तीन दशकों में भारत, भारतीयता, स्वाभिमान, आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता के स्वदेशी के संकल्प को पूरी तरह चरितार्थ कर पायें और आत्मविस्मृति, आत्मग्लानि, विदेशियों की आर्थिक एवं सांस्कृतिक लूट व गुलामी से भारत को बचा पायें। इसके लिए हम सब लोग अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी तय करके इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु अपना सर्वस्व अर्पित कर दें।
हमनें पतंजलि की ओर से तीन बड़े उत्तरदायित्व लिए हैं और आप देशवासियों के आशीर्वाद एवं सहयोग से इन्हें पूरा करने का संकल्प लेते हैं-
1. स्वदेशी चिकित्सा से स्वास्थ्य के क्षेत्र में कैसे बनेगा आत्मनिर्भर भारत:
दवा से लेकर इलैक्ट्रानिक्स, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, मेडिकल इक्युपमेंट्स, रिटेल, स्नरूष्टत्र एवं विविध क्षेत्रों लगभग 100 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी लोगों का नियंत्रण है। किसी भी श्रेष्ठ एवं शक्तिशाली सभ्य देश के लिए यह स्थिति राष्ट्रहित में ठीक नहीं है, इसलिए हमें सरकारी एवं गैर-सरकारी तौर पर इस प्रकार की एक दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए जिससे सभी क्षेत्रों में देश आत्मनिर्भर बने। पतंजलि आज बहुत बड़ी प्रेरणा है वोकल फॉर लोकल एवं आत्मनिर्भर भारत की। अंग्रेजी दवाओं का हमें सशक्त एवं वैज्ञानिक प्रभावशाली विकल्प देना है। इसके लिए हमने बहुत बड़ी तैयारी कर ली है। मेडिसिन, विटामिन्स, न्यूट्रियेन्ट्स एवं फूड सप्लीमेंट के तौर पर सैकड़ों रिसर्च बेस्ड प्रोडक्ट हमने तैयार कर लिए हैं। हम निष्कर्ष के रूप में कह रहे हैं कि हम रोग एवं विदेशी दवा मुक्त देश व अन्तत: दुनिया बनाने के संकल्प की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्राकृतिक सात्विक आध्यात्मिक जीवन पद्धति के माध्यम से असाध्य रोगों पर विजय पा चुके हैं और भावी पीढ़ी में वंशानुगत (जैनेटिकली) भी इन भयावह रोगों की शृंखला में आगे न बढ़े, ऐसा भी परम पुरुषार्थ कर रहे हैं। बी.पी., शूगर, हार्ट, कोलेस्ट्राल, थायराइड से लेकर जैनेटिक रोग, अर्थराइटिस, एन्क्लोजिंग स्पोंडोलाइसिस, क्रोनिक कफ, अस्थमा, क्रोनिक कोलाइटिस, I.B.S., S.L.E., M.S. जैसी ऑटोइम्यून डिजीज, मस्तिष्क एवं नाड़ी तन्त्र से सम्बद्ध असाध्य रोगों को हम मिटा रहे हैं। सारी दुनियाँ की सरकारें एवं साइंटिस्ट मिलकर जो कार्य नहीं कर सके, उन कार्यों को हम भगवत् कृपा एवं आप राष्ट्रभक्त देशवासियों के सहयोग से हम कर पा रहे हैं तथा अंतिम श्वास तक ये पुण्य पुरुषार्थ व परमार्थ का प्रवाह अखण्ड रूप से प्रवाहमान रखेंगे।
2. शिक्षा में आत्मनिर्भरता स्वदेशी भारतीय शिक्षा व्यवस्था के द्वारा
1935 में मैकाले एक बहुत बड़ा पाप करके गया। अब हम भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से इस कलंक को साफ करेंगे तथा वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विश्वस्तरीय ऐतिहासिक कार्य प्रारंभ हो चुका है। शीघ्र ही यह शिक्षा क्रान्ति एक विराट् रूप लेगी।
3. भारतीय जीवन पद्धति को वैश्विक प्रतिष्ठा से आध्यात्मिक भारत एवं आध्यात्मिक विश्व का निर्माण
यह पतंजलि तथा हम सब भारतीयों का बहुत बड़ा सपना व संकल्प है, यही है भारत को विश्व गुरु बनाने का यज्ञ या आंदोलन। विभिन्न कारणों से देश व दुनियाँ अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आइये! हम सब पूर्ण संकल्पित होकर इस दिव्य दिशा में निरंतर आगे बढ़ें।
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