पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ

पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ

  • आयुर्वेद पर आधुनिक विज्ञानपरक अनुसंधान अति आवश्यक : पूज्य स्वामी जी महाराज
  •  पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने चिकित्सा जगत को नये आयाम पर पहुंचाया : पूज्य आचार्य श्री
   हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के श्रद्धालयम परिसर में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का आधुनिक विज्ञान के साथ समाकलन प्रासंगिकता, चुनौतियाँ, एवं भावी परिपेक्ष्य शीर्षक पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (काॅन्फ्रेंस) का उद्घाटन परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करते हुये किया गया। इस सम्मेलन के अध्यक्ष उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. सुनील जोशी जी, तथा गेस्ट आॅफ आॅनर पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर जी रहे। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित यह त्रिदिवसीय सम्मेलन पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसके कोंवेयनर डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी व आयोजक सचिव डाॅ. वेदप्रिया आर्या जी रहीं।
   इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने आयुर्वेद चिकित्सा सम्पूर्ण विश्व के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद पर आधुनिक विज्ञानपरक अनुसंधान अति आवश्यक हैं, उन्होंने इस संदर्भ में पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुये अपना आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने आयुर्वेद के संदर्भ में आधुनिक विज्ञान के मापदंडों पर अनुसंधान करते हुये चिकित्सा जगत को एक नए आयाम पर पहुंचाया है। भविष्य में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से मानव स्वास्थ्य के लिए प्रयुक्त होने वाली विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के लिए नए मार्ग प्रशस्त होंगे।
    सम्मेलन में डाॅ. सुनील जोशी जी ने पतंजलि के द्वारा चिकित्सा एवं अनुसंधान के संदर्भ में किए गए प्रयासों की सराहना करते हुये सभी वैज्ञानिकों को प्रेरित किया। डाॅ. महावीर अग्रवाल जी ने अपने वक्तव्य में आयुर्वेद एवं आधुनिक विज्ञान के समाकलन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं की ओर इंगित करते हुये छात्रों को इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
     डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी ने इतिहास को संक्षेप में बताते हुये हाल ही में निर्मित प्रथम एविडेंस-बेस्ड-मैडिसिन कोरोनिल के अनुसंधान में प्रयुक्त विभिन्न वैज्ञानिक चरणों का उल्लेख करते हुये पतंजलि अनुसंधान संस्थान के भावी अनुसंधान की रूप रेखा के बारे में बताया। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य जी महाराज के साथ सम्माननीय गणमान्य व्यक्तियों ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान आधारित पुस्तक श्प्दजमतहतंजपवद व िज्तंकपजपवदंस डमकपबपदंस ैलेजमउे ूपजी डवकमतद ैबपमदबम त्मसमअंदबम व्चचवतजनदपजपमे ंदक थ्नजनतम च्मतेचमबजपअमेश् का विमोचन भी किया। समारोह में विज्ञान जगत के अनन्य विद्वान् डाॅ. नवीन नवानी, डाॅ. परन गौड़ा, डाॅ. विक्रम दाबाड़े, डाॅ. संतोष कुमार पिंग्ले, डाॅ. रश्मि जोशी आदि के साथ साथ देशभर से आए वैज्ञानिक, प्रोफेसर, शोध-छात्र प्रतिभागियों एवं पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभी वैज्ञानिक कर्मयोगियों सहित वर्चुयल रूप से जुड़े अनेक अतिथिगण सम्मिलित हुये। ज्ञातव्य है कि इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों के वैज्ञानिक तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाइजीरिया, चीन व दुबई के वैज्ञानिक भी वर्चुयल माध्यम से जुड़े। कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी व कर्मचारीगण सम्मिलित हुए।

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