किसी भी दिवस की सार्थकता इस बात से होती है कि उससे देश, समाज व मानवता के लिए कुछ अच्छा किया जा सके

गिलोय, नीम, अश्वगंधा, तुलसी घर-घर में होंगी तो मेडिकल टेरेरिज्म समाप्त होगा : पूज्य स्वामी जी

किसी भी दिवस की सार्थकता इस बात से होती है कि उससे देश, समाज व मानवता के लिए कुछ अच्छा किया जा सके

  हरिद्वार। गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मोत्सव पूर्ण भव्यता के साथ जड़ी-बूटी दिवस के रूप में पतंजलि योगपीठ में मनाया गया। इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने पूज्य आचार्य जी को जन्म दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए कहा कि पतंजलि के इस अनुष्ठान, इस राष्ट्रव्यापी आन्दोलन के पीछे श्रद्धेय आचार्य जी की अग्रणी भूमिका है। पतंजलि के विविध आयाम हैं तथा प्रत्येक आयाम के पीछे श्रद्धेय आचार्य जी का अभुतपूर्व योगदान है। श्रद्धेय आचार्य जी महाराज पतंजलि योगपीठ के शिल्पी हैं। प्रत्येक वर्ष श्रद्धेय आचार्य जी के जन्मदिवस पर पतंजलि के माध्यम से औषधीय पौधों गिलोय, आँवला, अश्वगंधा, नीम व तुलसी का निःशुल्क वितरण हुआ एवं सम्पूर्ण भारत में पतंजलि योग समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। ये सारी जड़ी-बूटियाँ आल्हादित हैं कि एक युग नायक, युग पुरोधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के द्वारा लोकोपकार में लगा है। इस समय जब चारों ओर से मानवता पर कम्युनिकेबल और नाॅन कम्युनिकेबल डिजीज (बैक्टिरियल, लाइफ स्टाइल, फंगल, जेनेटिक व इन्क्योरेबल डिजीज) के रूप में बहुत बड़ा संकट आया है, रोग रूपी शत्रु घात लगाकर बैठे हैं, ऐसे समय में गिलोय, नीम, अश्वगंधा, तुलसी आदि जब घर-घर में होंगी तो मेडिकल टेरेरिज्म समाप्त होगा। साथ ही आज पूरे देश में पतंजलि के कार्यकर्ताओं द्वारा रक्तदान का कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है। उन्होंने रक्तदान, जड़ी-बूटी रोपण, वितरण और अंगदान के लिए देशवासियों से आह्वान किया।
     इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि किसी भी दिवस की सार्थकता इस बात से होती है कि उससे देश, समाज व मानवता के लिए कुछ अच्छा किया जा सके। जन्मदिवस तो मात्र माध्यम है, हम यह जो उत्सव मनाते हैं उसका प्रयोजन है औषधीय वनस्पतियों का रोपण व वितरण। वर्षा का मौसम है, पूरे देश के नागरिकों से आग्रह है कि प्रयास से जड़ी-बूटियों का रोपण कीजिए, प्रयास से योग-प्राणायाम कीजिए तो प्रयास से बीमारियाँ दूर भागेंगी। यदि आप जड़ी-बूटियों व योग का आश्रय नहीं लेंगे तो बीमारियों का आश्रय आप स्वयं बनेंगे। बीमारियों का आश्रय बनने से बचने के लिए जड़ी-बूटी व योग का आश्रय लें। गत एक माह से हमारे कार्यकर्ताओं द्वारा जड़ी-बूटी रोपण एवं वितरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी जी महाराज के तप से जो यह देशसेवा व समाज सेवा का बड़ा कार्य किया जा रहा है वह इस धरा के भाल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
      इस अवसर पर पूज्य आचार्यश्री की प्रसिद्ध पुस्तक आयुर्वेद सिद्धांत रहस्य कोरियन व फ्रैंच भाषा में लोकार्पित की गई। अब यह पुस्तक विश्व की 80 भाषाओं में उपलब्ध है। साथ ही पूज्य स्वामी जी महाराज की शाश्वत प्रज्ञा से निःसृत शाश्वत सत्य आधारित पुस्तक शाश्वत प्रज्ञा का भी विमोचन किया गया। उपचार पद्धति पुस्तक का विमोचन करते हुए पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि यह औषध दर्शन का परिष्कृत रूप है। कृषि को विकसित करने हेतु पूज्य आचार्य जी के दिशानिर्देशन में रचित रिसर्च व एविडेंस बेस्ड पुस्तक सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फाॅर फूड सिक्योरिटी ए ग्लोबल प्रोस्पेक्टिवका भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक इंटरनेशनल सी.आर.सी. प्रेस (एप्पल एकेडमी) द्वारा प्रकाशित की गई है। कविराज मनोहर लाल आर्य ने अपनी पुस्तक वैद्यऋषि गौरवम् पूज्य आचार्य जी को समर्पित की।
     कार्यक्रम में पतंजलि द्वारा अनुसंधित आयुर्वेदिक औषधियाँ-डर्मोग्रिट, सोरोग्रिट, मेलेनोग्रिट, हेलोम, आइग्रिट, इयरग्रिट तथा हल्दी, विधारा व नीम के गुणों से भरपूर पतंजलि वाटरप्रूफ बैंड-एड रोगोपचार हेतु लोकार्पित की गई। कार्यक्रम में मदर टैरेसा ब्लड बैंक रूड़की के सहयोग से एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी संचालन किया गया जिसमें पूज्य स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य जी महाराज ने स्वयं रक्तदान कर देश के नागरिकों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया। शिविर में कुल 407 युनिट रक्तदान किया गया। रक्तदान शिविर संचालन में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय की सक्रिय भूमिका रही। इसके उपरान्त पूज्य स्वामी जी व पूज्य आचार्य जी के कर-कमलों से पौधा रोपित किया गया। भारत स्वाभिमान के माध्यम से औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण भी किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मुम्बई के धर्मानुज ग्रुप द्वारा चाणक्यनाटक का मंचन मनमोहक रहा।
     कार्यक्रम में प्रो. महावीर जी, डाॅ. एन.पी. सिंह, साध्वी देवप्रिया, बहन श्रतम्भरा, श्री रामभरत, श्री ललित मोहन, बहन अंशुल, बहन पारूल, स्वामी परमार्थ देव, डाॅ. जयदीप आर्य, श्री राकेश कुमार, बहन प्रवीण पुनिया, श्री विमल चंद्र पाण्डे, श्री तरुण राजपूत, राष्ट्रीय कवि श्री हरिओम पंवार, पतंजलि संन्यास आश्रम के समस्त संन्यासी भाईयों व संन्यासिनी बहनों तथा पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पूज्य आचार्यश्री को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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