पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट में ‘इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी’ (I.E.C.) की प्रथम बैठक का आयोजन

पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट में ‘इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी’ (I.E.C.) की प्रथम बैठक का आयोजन

पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मिलकर कार्य करेंगे: प्रो. अभिमन्यु कुमार आयुर्वेद एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति:श्रद्धेय आचार्य श्री हरिद्वार। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के अन्तर्गत संचालित पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट, हरिद्वार में ‘मानव नैदानिक परीक्षणों’ (Human Clinical Trials) के लिए इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी की पहली बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रो.ए.के. त्रिपाठी, निदेशक आयुर्वेद, उत्तराखंड सरकार; प्रो़. वर्तिका सक्सेना, एच.ओ.डी.; आयुष विभाग, एम्स ऋषिकेश एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ…

पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मिलकर कार्य करेंगे: प्रो. अभिमन्यु कुमार आयुर्वेद एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति:श्रद्धेय आचार्य श्री

हरिद्वार। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के अन्तर्गत संचालित पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट, हरिद्वार में ‘मानव नैदानिक परीक्षणों’ (Human Clinical Trials) के लिए इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी की पहली बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रो.ए.के. त्रिपाठी, निदेशक आयुर्वेद, उत्तराखंड सरकार; प्रो़. वर्तिका सक्सेना, एच.ओ.डी.; आयुष विभाग, एम्स ऋषिकेश एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बोर्ड के अन्य प्रमुख विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

पतंजलि योगपीठ के महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने समिति के सदस्यों का स्वागत किया और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर रखने की समसामयिक जरूरतों पर बल दिया। उन्होंने इस दिशा में पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा पूर्व में किए गये प्रयासों का वर्णन किया। पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि आयुर्वेद एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद का वास्तविक स्वरूप कहीं गुम हो गया था जिसे पतंजलि के सत् प्रयासों से पुनः प्रतिष्ठा मिली है। पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष और प्रमुख डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय ने औपचारिक रूप से संस्थान में आई.ई.सी. गठन की घोषणा करने का प्रस्ताव रखा।

इस अवसर पर प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार ने आयुर्वेद अनुसंधान के क्षेत्र में पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के अग्रणी प्रयासों की सराहना की। प्रोफेसर कुमार ने कहा कि उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट पूरे भारत में ‘मास्टर रजिस्ट्री आॅफ इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटीज’ निर्मित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। अभी तक आयुर्वेदिक और हर्बल नैदानिक परीक्षणों के पंजीकरण के लिए कोई तंत्र नहीं है।

समिति के सभी सदस्य इस प्रस्ताव का सहमत हुए और इस प्रकार की गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट इस राष्ट्रीय महत्वपूर्ण अभ्यास में मुख्य भागीदार होगा, वहीं उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय इस कार्य में महती भूमिका का निर्वहन करेगा। समिति ने औपचारिक प्रस्ताव तैयार कर केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की मंजूरी के लिए प्रेषित करने के निर्देश जारी किये। डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय ने भावी नैदानिक परीक्षण प्रोटोकाॅल समिति के समक्ष प्रस्तुत किए और इन पर आगामी कार्यवाही के लिए विचार-विमर्श किया गया। डाॅ.ए.के. त्रिपाठी ने बीमारियों पर ध्यान केन्द्रित करने वाली दवाओं पर केन्द्रित दृष्टिकोण रखते हुए चर्चा की। आई.ई.सी. सदस्यों में प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार, अध्यक्ष- प्रो.ए.के. त्रिपाठी, चिकित्सक; डाॅ. वर्तिका सक्सेना, चिकित्सक; डाॅ.अवनीश उपाध्याय, चिकित्सक; श्री उत्तम सिंह चैहान, कानूनी सलाहकार; चिकित्सक; डाॅ. अवनीश उपाध्याय, चिकित्सक; श्री उत्तम सिंह चैहान, कानूनी सलाहकार; प्रो. परण गौड़ा, सामाजिक वैज्ञानिक; स्वामी परमार्थदेव, आमजन (ले-पर्सन); परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज, सदस्य तथा डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय, सदस्य सचिव उपस्थित रहे। इस समिति का गठन नवीनतम आई.सी.एम.आर. के दिशानिर्देशों के अनुरूप किया गया। अंत में श्रद्धेय आचार्य श्री ने सभी रचनात्मक टिप्पणियों के लिए सभी समिति सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया और उम्मीद जतायी की हम जल्द ही अपने सामूहिक लक्ष्यों को पूरा कर सकेंगे।

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